पंचमी विभक्ति की उपपद विभक्तियाँ
उपपद विभक्ति का यह चतुर्थ भाग है । पिछले तीन भागों में “द्वितीया, तृतीया व चतुर्थी विभक्ति की उपपद विभक्तियों” के बारे में बताया गया है । द्वितीया, तृतीया व चतुर्थी विभक्ति की उपपद विभक्तियों की पोस्ट का लिंक नीचे दिए जा रहा है । आप लिंक पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं-
संस्कृत भाषा में वाक्यों का निर्माण दो प्रकार
की विभक्तियों से होता है- 1. कारक विभक्तियाँ
2. उपपद विभक्तियाँ ।
क्रम
से दोनों के बारे में समझते हैं-
1. कारक विभक्तियाँ-
कारकों के
लक्षण के अधार पर वाक्य में जहाँ पर विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, उसे कारक
विभक्ति कहते हैं । जैसे करण कारक की परिभाषा है- “क्रिया की सिद्धि में जो अत्यन्त
सहायक होता है, उसे करण कारक कहते हैं । करण कारक में तृतीया विभक्ति होती है । करण
कारक के चिह्न- ‘से, के द्वारा, के साथ’ हैं ।”
यदि इस नियम के अधार पर वाक्य का निर्माण होगा
तो वाक्य में कारक विभक्ति होगी । उदाहरण-
(क)
मोहन बस से विद्यालय जाता है ।
मोहन: बसयानेन विद्यालयं गच्छति ।
इस वाक्य में “बस” करण कारक है, अत: यहाँ पर
“बस” में तृतीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है ।
2. उपपद विभक्तियाँ-
वाक्य में जब किसी विशेष पद (शब्द) के कारण
कोई विभक्ति आती है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं । उपपद विभक्ति में कारक विभक्ति का
प्रयोग नहीं करते हैं । जैसे-
(क)
गाँव के चारों ओर पेड़ हैं ।
ग्रामं अभित: वृक्षा: सन्ति ।
इस वाक्य में ‘अभित:’ उपपद शब्द है, अभित: के
योग में द्वितीया विभक्ति होती है । अभित: का अर्थ है “चारों ओर” । ‘चारों ओर’ का प्रभाव
गाँव शब्द पर पड़ रहा है । अत: गाँव शब्द में द्वितीया विभक्ति (ग्रामं) हुई है ।
यदि हम कारक के नियम के अनुसार देखें तो ‘गाँव’
के साथ ‘के’ कारक चिह्न है और ‘के’ चिह्न ‘सम्बन्ध’ का होता है, सम्बन्ध में षष्ठी
विभक्ति होती है, परन्तु ऊपर के वाक्य में ‘अभितः’ के कारण द्वितीया विभक्ति हुई है
।
अब पंचमी विभक्ति की उपपद विभक्तियों को विस्तार से समझते हैं-
अपादान कारक का सूत्र-
“ध्रुवमपायेऽपादनम्” - जिससे कोई वस्तु अलग हो, उसे अपादान कहते हैं ।
पञ्चमी विभक्ति का सूत्र-
“अपादाने
पञ्चमी” अपादान में पञ्चमी विभक्ति होती है । जैसे-
पेड़
से पत्ते गिरते हैं ।
वृक्षात् पत्राणि पतन्ति ।
पञ्चमी विभक्ति की उपपद विभक्तियाँ
नियम-
1 “भीत्रार्थानां भयहेतुः”
भय
और रक्षा के अर्थ वाली धातुओं के साथ भय के कारण में पंचमी विभक्ति होती है । अर्थात्
जिस से डर लगे उसमें पंचमी विभक्ति होती है । जैसे-
रमेश
शेर से डरता है ।
रमेशः
सिंहात् बिभेति ।
मोहन
चोर से धन बचाता है ।
मोहनः
चोरात् धनं त्रायते ।
नियम-
2 “जुगुप्साविरामप्रमादार्थानामुपसंख्यानम्”
जुगुप्सा,
विराम, प्रमाद या इनके समानार्थक शब्दों के साथ पंचमी विभक्ति होती है । जैसे-
जुगुप्सा- घृणा
पाप से
घृणा करता है ।
पापात्
जुगुप्सते ।
विराम- हटना, बन्द
करना
सज्जन
पाप से हटते हैं ।
सज्जनाः
पापात् विरमन्ति ।
प्रमाद- भूल
धर्म कार्य में
भूल करता है ।
धर्मात्
प्रमाद्यति ।
नियम-
3 “वारणार्थानामीप्सितः”
जिस
वस्तु से किसी को हटाया जाय, उसमें पंचमी विभक्ति होती है । जैसे-
खेत
में जो से गाय को हटाता है ।
क्षेत्रे
यवेभ्यो गां वारयति ।
नियम-
4 “आख्यातोपयोगे”
जिस
गुरु से विद्या नियमपूर्वक पढी जाए वह गुरु अपादान होता है । जैसे-
शिक्षक से
पढता है ।
शिक्षकात्
पठति ।
नियम-
5 “अन्तर्धौ येनादर्शनमिच्छति”
जब
कोई अपने को छिपाता है, तब जिससे छिपाया जाए वह अपादान होता है ।
कृष्ण
माता से छिपता है ।
कृष्णः
मातुः निलीयते ।
नियम-
6 “जनिकर्तुः प्रकृतिः”
जन्
धातु के कर्ता का मूल कारण अपादान होता है । जैसे-
ब्रह्मा जी से
सारी प्रजा उत्पन्न होती है ।
ब्रह्मणः
प्रजाः प्रजायन्ते ।
नियम- 7 “पृथग्विनानानाभिस्तृतीयाऽन्यतरस्याम्”
पृथक्, बिना, नाना(बिना अर्थ में) शब्दों के
साथ द्वितीया, तृतीया, पंचमी विभक्तियों में से किसी एक विभक्ति का प्रयोग कर सकते
हैं । जैसे-
कौरव
पाण्डवों से अलग रहते थे ।
कौरवाः
पाण्डवान्/पाण्डवै:/पाण्डवेभ्यः
पृथग् अवसन् ।
मनुष्य
जल के बिना जीवित नहीं रहता है
।
मनुष्यः
जलं/जलेन/जलात् विना न जीवति ।
नियम-
8 “अन्यारादितरर्ते दिक्शब्दाञ्चूत्तरपदाजाहियुक्ते”
अन्य,
इतर, आरात्, ऋते तथा दिग्वाचक प्रत्यक्, उदीच्, प्रभृति शब्दों, दक्षिणा, उत्तरा आदि
शब्दों तथा दक्षिणाहि, उत्तराहि प्रभृति शब्दों के योग में पंचमी विभक्ति होती है ।
जैसे-
अन्य:/भिन्नः/इतरः-
अतिरिक्त/अलावा
हरि
के अतिरिक्त कौन है ?
हरेः
अन्य:/भिन्नः/इतरः कः अस्ति ?
आरात्- निकट या दूर
घर
वन से दूर है ।
गृहं
वनात् आरात् अस्ति ।
ऋते- बिना
ज्ञान के
बिना सुख नहीं ।
ज्ञानात्
ऋते न सुखम् ।
प्राक्- पूरब या सामने
नगर के
सामने पहाड़ है ।
नगरात्
प्राक् पर्वतः अस्ति ।
धन्यवाद
।
1 Comments
Thank you
ReplyDeleteसाथियों ! यह पोस्ट अपको कैसे लगी, कमेंट करके अवश्य बताएँ, यदि आप किसी टोपिक पर जानकारी चाहते हैं तो वह भी बता सकते हैं ।