अनुवाद भाग -3
करण व सम्प्रदान कारक से अनुवाद
पिछली पोस्ट में कर्ता व कर्म कारक से अनुवाद कार्य किया गया है, इस पोस्ट में करण व सम्प्रदान कारक से अनुवाद कार्य किया जा रहा है । यदि आपने अनुवाद के भाग-1 व भाग- 2 की पोस्ट नहीं पढी है तो पहले उन दोनों क्रम से पढिए, उसके बाद ही आपको यह पोस्ट समझ में आएगी । दोनों पोस्ट के लिंक यहाँ दिए जा रहे हैं-
अनुवाद पाठ-1 पुरुषों से अनुवाद
अनुवाद पाठ- 2 कर्ता व कर्म कारक से अनुवाद
सर्वप्रथम
कारक चिह्नों से परिचित होते हैं-
विभक्ति, कारक व कारक चिह्न-
विभक्ति |
कारक |
कारक चिह्न |
प्रथमा विभक्ति |
कर्ता |
ने |
द्वितीया विभक्ति |
कर्म |
को |
तृतीया विभक्ति |
करण |
से, के द्वारा,
के साथ |
चतुर्थी विभक्ति |
सम्प्रदान |
के लिए, को |
पंचमी विभक्ति |
अपादान |
से (अलग होने
हेतु) |
षष्ठी विभक्ति |
सम्बन्ध |
का, के, की,
रा, रे, री |
सप्तमी विभक्ति |
अधिकरण |
में, पे,
पर |
प्रथमा
विभक्ति |
सम्बोधन |
हे, अरे,
भो |
बालक शब्द रुप अर्थ सहित
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालक: |
बालकौ |
बालका: |
|
बालक ने |
दो बालकों ने |
सभी बालकों ने |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान् |
|
बालक को |
दो बालकों को |
सभी बालकों को |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकै: |
|
बालक से, के द्वारा, के
साथ |
दो बालकों से, के द्वारा,
के साथ |
सभी बालकों से, के द्वारा,
के साथ |
चतुर्थी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
|
बालक के लिए |
दो बालकों के लिए |
सभी बालकों के लिए |
पंचमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
|
बालक से |
दो बालकों से |
सभी बालकों से |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयो: |
बालकानाम् |
|
बालक का, के, की, रा, रे,
री |
दो बालकों का, के, की, रा,
रे, री |
सभी बालकों का, के, की,
रा, रे, री |
सप्तमी |
बालके |
बालकयो: |
बालकेषु |
|
बालक में, पे, पर |
दो बालकों में, पे, पर |
सभी बालकों में, पे, पर |
सम्बोधन |
हे बालक |
हे बालकौ |
हे बालका: |
वैसे तो कर्ता व कर्म कारक की परिभाषा पिछली
पोस्ट में विस्तार से बता दी गई है, फिर भी एक बार सरल रूप में पुन: जान लेते हैं-
कर्ता कारक-
वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के बारे में
कुछ कहा जाता है, या वाक्य में जो काम कर रहा हो उसे कर्ता कारक कहते हैं । जैसे-
(I)
लता पत्र लिखती है ।
इस वाक्य में लता के बारे में बात की जा रही
है और लता ही काम भी कर रही है, अत: लता कर्ता कारक है ।
2. कर्म कारक-
जिस वस्तु या व्यक्ति के ऊपर क्रिया का फल
(प्रभाव) पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं अथवा जिस शब्द से वाक्य में यह ज्ञात हो
कि इसको करने से ही कार्य समाप्त होगा वह कर्म कारक कहलाता है । कर्म कारक का चिह्न
‘को’ है । कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति होती है । कई वाक्यों में कर्म कारक का चिह्न
नहीं मिलता है, उसे पहचानने का एक सरल तरीका है, वाक्य में क्या और कहाँ से जो शब्द
उत्तर में मिले वही कर्म कारक होगा । जैसे-
(क).
लता फल खाती है ।
इस
वाक्य में ‘को’ चिह्न कहीं नहीं है । अब क्या और कहाँ का प्रयोग करके कर्म पहचानते
हैं । लता फल खाती है- लता क्या खाती है, क्या प्रश्न से हमें उत्तर मिला- फल । अत:
इस वाक्य में फल कर्म कारक है ।
अब करण व सम्प्रदान कारक को विस्तार से समझते हैं-
करण कारक-
क्रिया
की सिद्धि में जो अत्यन्त सहायक होता है, उसे करण कारक कहते हैं । अर्थात् कर्ता जिस
किसी क्रिया को करता है उस क्रिया को करने में जो सहायता करे उसे करण कारक कहते हैं
। करण कारक में तृतीया विभक्ति होती है । करण कारक के चिह्न- ‘से, के द्वारा, के साथ”
हैं । उदाहरण-
(I) मोहन बस से विद्यालय जाता है ।
इस
वाक्य में “जाता है” क्रिया है । जाने की सहायता बस कर रही है अत: बस करण कारक है ।
वाक्य में कारक चिह्न “से” भी बस के साथ ही आया है, अत: चिह्न से भी कारक पहचान सकते
हैं । मोहन के बारे में बात हो रही है अत:
‘‘मोहन” कर्ता कारक है और क्या और कहाँ से विद्यालय उत्तर में मिल रहा है, अत: विद्यालय
कर्म है ।
सम्प्रदान कारक-
जिसे
कुछ दिया जाता वह सम्प्रदान कारक होता है । सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती
है । सम्प्रदान कारक का चिह्न “के लिए, को” हैं ।
“को” चिह्न
सम्प्रदान कारक में तभी प्रयोग होगा जब दान दिया जाएगा, अन्य जगह “को” चिह्न कर्म कारक
में ही प्रयोग होगा । उदाहरण-
(I) पिता पुत्र को धन देता है ।
इस
वाक्य में पुत्र को धन दिया जा रहा है, अत: पुत्र सम्प्रदान कारक है, धन देने वाला
पिता है और पिता के बारे में बात हो रही है, अत: पिता कर्ता कारक है । क्या और कहाँ
से धन शब्द उत्तर में प्राप्त होता है, अत: धन कर्म कारक है ।
वाक्य निर्माण से पूर्व तीनों लिंगों के 1-1 शब्दरूप
से परिचित होते हैं-
बालक
शब्द- पुल्लिंग
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालक: |
बालकौ |
बालका: |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान् |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकै: |
चतुर्थी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
पंचमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयो: |
बालकानाम् |
सप्तमी |
बालके |
बालकयो: |
बालकेषु |
सम्बोधन |
हे बालक |
हे बालकौ |
हे बालका: |
# इसी प्रकार से छात्र, राम, रमेश, दिनेश, अजय, विजय
आदि अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप भी चलेंगे ।
रमा शब्द- स्त्रीलिंग
विभक्ति |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमा |
रमा |
रमे |
रमाः |
द्वितीया |
रमाम् |
रमे |
रमाः |
तृतीया |
रमया |
रमाभ्याम् |
रमाभिः |
चतुर्थी |
रमायै |
रमाभ्याम् |
रमाभ्यः |
पंचमी |
रमाया: |
रमाभ्याम् |
रमाभ्यः |
षष्ठी |
रमाया: |
रमयो: |
रमाणाम् |
सप्तमी |
रमायाम् |
रमयो: |
रमासु |
सम्बोधन |
हे
रमे |
हे
रमे |
हे
रमा: |
# इसी प्रकार से लता, सीता, गीता, छात्रा, बालिका,
महिला आदि आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप भी चलेंगे ।
फल शब्द- नपुंसकलिंग
विभक्ति |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमा |
फलम् |
फले |
फलानि |
द्वितीया |
फलम् |
फले |
फलानि |
तृतीया |
फलेन |
फलाभ्याम् |
फलैः |
चतुर्थी |
फलाय |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
पञ्चमी |
फलात् |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
षष्ठी |
फलस्य |
फलयोः |
फलानाम् |
सप्तमी |
फले |
फलयोः |
फलेषु |
सम्बोधन |
हे
फलम् |
हे
फले |
हे
फलानि |
# इसी प्रकार
पुस्तकम्, वस्त्रम्, पुष्पम्, कलमम्, पत्रम् आदि अकारान्त नपुंसक लिंग शब्दों के रूप
भी चलेंगे ।
पठ् धातु- पढना (लट् लकार-वर्तमान
काल)-
|
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथम
पुरुष |
पठति |
पठत: |
पठन्ति |
मध्यम
पुरुष |
पठसि |
पठथ: |
पठथ |
उत्तम
पुरुष |
पठामि |
पठाव: |
पठाम: |
अब अनुवाद कार्य प्रारम्भ करते हैं-
करण कारक के अनुवाद-
1. बालक कलम से पत्र लिखता है ।
बालक:
कलमेन पत्रं लिखति ।
वाक्य |
बालक |
कलम
से |
पत्र |
लिखता
है । |
कारक |
कर्ता |
करण |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
तृतीया/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
बालक: |
कलमेन |
पत्रं |
लिखति |
2. छात्र आँखों से चित्र देखता है ।
छात्र:
नेत्राभ्यां चित्रं पश्यति ।
वाक्य |
छात्र |
आँखों
से |
चित्र |
देखता
है । |
कारक |
कर्ता |
करण |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
तृतीया/ द्विवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
छात्र: |
नेत्राभ्यां |
चित्रं |
पश्यति |
आँख दो होती हैं, अत: आँख का तृतीया विभक्ति में
द्विवचन हुआ है ।
3. मनुष्य पैरों से चलता है ।
मानव:
चरणाभ्यां चलति ।
वाक्य |
मनुष्य |
पैरों
से |
चलता
है । |
कारक |
कर्ता |
करण |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
तृतीया/ द्विवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
मानव: |
चरणाभ्यां |
चलति |
मनुष्य के दो पैर होते हैं अत: पैर का तृतीया विभक्ति
में द्विवचन हुआ है ।
4. हाथी पैरों से चलता है ।
गज: चरणै:
चलति ।
वाक्य |
हाथी |
पैरों
से |
चलता
है । |
कारक |
कर्ता |
करण |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
तृतीया/ बहुवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
गज: |
चरणै: |
चलति |
हाथी के चार पैर होते हैं अत: पैर का तृतीया विभक्ति
में बहुवचन हुआ है ।
5. छात्र बस से विद्यालय जाते हैं ।
छात्र:
बसयानेन विद्यालयं गच्छन्ति ।
वाक्य |
छात्र |
बस
से |
विद्यालय |
जाते
हैं । |
कारक |
कर्ता |
करण |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
तृतीया/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
छात्रा: |
बसयानेन |
विद्यालयं |
गच्छन्ति
|
6. महिलाएँ हवाई जहाज से दिल्ली जाती हैं ।
महिला: वायुयानेन दिल्लीनगरं गच्छन्ति ।
वाक्य |
महिलाएँ |
हवाई
जाहाज से |
दिल्ली |
जाती
हैं । |
कारक |
कर्ता |
करण |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
तृतीया/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
महिला: |
वायुयानेन |
दिल्लीनगरं |
गच्छन्ति |
सम्प्रदान कारक के अनुवाद-
1. राम श्याम के लिए फल लाता है ।
राम:
श्यामाय फलानि आनयति ।
वाक्य |
राम |
श्याम
के लिए |
फल |
लाता
है । |
कारक |
कर्ता |
सम्प्रदान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
चतुर्थी/ एकवचन |
द्वितीया/ बहुवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
राम: |
श्यामाय |
फलानि |
आनयति |
2. अमीर निर्धन
को धन देता है ।
धनिक:
निर्धनाय धनं यच्छति ।
वाक्य |
अमीर |
निर्धन को |
धन |
देता
है । |
कारक |
कर्ता |
सम्प्रदान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
चतुर्थी/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
धनिक: |
निर्धनाय |
धनं |
यच्छति |
# ‘को’ चिह्न का प्रयोग सम्प्रदान में सिर्फ़ दान
देने के लिए प्रयोग होता है, अन्य जगह ‘को’ चिह्न कर्म कारक में प्रयोग होता है ।
3. रमेश भिखारियों को कपड़े देता है ।
रमेश:
भिक्षुकेभ्य: वस्त्राणि यच्छति ।
वाक्य |
रमेश |
भिखारी
को |
कपड़े |
देता
है । |
कारक |
कर्ता |
सम्प्रदान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
चतुर्थी/ बहुवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
रमेश: |
भिक्षुकेभ्य: |
वस्त्राणि |
यच्छति |
4. छात्र पढने के लिए विद्यालय जाते हैं ।
छात्रा:
पठनाय विद्यालयं गच्छन्ति ।
वाक्य |
छात्र |
पढने
के लिए |
विद्यालय |
जाते
हैं । |
कारक |
कर्ता |
सम्प्रदान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
चतुर्थी/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
छात्रा: |
पठनाय |
विद्यालयं |
गच्छन्ति |
5. भिखारी भोजन के लिए गाँव को जाता है ।
भिक्षुक:
भोजनाय ग्रामं गच्छति ।
वाक्य |
भिखारी |
भोजन
के लिए |
गाँव
को |
जाता
है । |
कारक |
कर्ता |
सम्प्रदान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
चतुर्थी/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
भिक्षुक: |
भोजनाय |
ग्रामं |
गच्छति |
अन्य अनुवाद कार्य-
करण कारक-
1. लता रंगों से चित्र बनाती है ।
लता वर्णै:
चित्रं रचयति ।
2. छात्राएँ साइकल से विद्यालय जाती हैं ।
बालिका:
द्विचक्रिकाभि: विद्यालयं गच्छन्ति ।
3. उमेश हाथ से पत्थर फेंकता है ।
उमेश:
हस्तेन प्रस्तरं क्षिपति ।
4. मैं कानों से गीत सुनता हूँ ।
अहं कर्णाभ्यां
गीतं शृणोमि ।
5. उमा पानी से मुख धोती है ।
उमा जलेन
मुखं प्रक्षालयति ।
सम्प्रदान कारक-
1. शिक्षक छात्रों के लिए पुस्तकें लाता है ।
शिक्षक:
छात्रेभ्य: पुस्तकानि आनयति ।
2. राजा ब्राह्मणों को धन देता है ।
राजा
ब्राह्मणेभ्य: धनं यच्छति ।
3. सीता घूमने के लिए पार्क को जाती है ।
सीता
भ्रमणाय उद्यानं गच्छति ।
4. लड़के खेलने के लिए मैदान को जाते हैं ।
बालका
क्रीडनाय क्रीडाक्षेत्रं गच्छन्ति ।
5. अजय फलों के लिए बाजार जाता है ।
अजय:
फलेभ्य: आपणं गच्छति ।
धन्यवाद ।
1 Comments
iska next bhag kaha milega
ReplyDeleteसाथियों ! यह पोस्ट अपको कैसे लगी, कमेंट करके अवश्य बताएँ, यदि आप किसी टोपिक पर जानकारी चाहते हैं तो वह भी बता सकते हैं ।