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Anuvad hindi to sanskrit karta wa karma kaarak । अनुवाद पाठ-2 कर्ता व कर्म कारक के अनुवाद । हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद । anuvad hindi se sanskrit me |

                       अनुवाद भाग -2

                कर्ता व कर्म कारक से अनुवाद

Karta wa karma karana se sanskrit anuwad

       संस्कृत में अनुवाद के लिए दो महत्वपूर्ण नियम होते हैं- 1. पुरुष 2. कारक । पुरुषों के माध्यम से पिछली पोस्ट में अनुवाद किए गए हैं । इस पोस्ट में कारकों के द्वारा अनुवाद कार्य करेंगे । पिछली पोस्ट के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-

भाग-1 पुरुषों से अनुवाद


कारक किसे कहते हैं-

       किसी वाक्य में क्रिया के साथ सम्बन्ध बनाए रखने वाले तत्वों (शब्दों) को कारक कहते हैं । संस्कृत में कुल छ: कारक हैं-

कर्ता कर्म च करणं च सम्प्रदानं तथैव च ।

अपादानाधिकरणे इत्याहु: कारणकाणि षट् ॥

       1. कर्ता 2. कर्म 3. करण 4. सम्प्रदान 5. अपादन 6. अधिकरण । इनके अतिरिक्त सम्बन्ध और अधिकरण भी हैं, किन्तु इन दोनों की गणना कारकों के अन्तर्गत नहीं की जाती है । इन दोनों का सम्बन्ध क्रिया के साथ नहीं रहता है, अत: गणना कारकों के अन्तर्गत नहीं की जाती है ।

 

कारक व कारक चिह्न-

       हिन्दी भाषा में वाक्य के बीच में परसर्गों (कारक चिह्नों) को लगाकर अर्थ की प्राप्ति होती है, जैसे- रमेश घर से विद्यालय पढने के लिए जाता है । इस वाक्य में ‘से और के लिए’ परसर्ग हैं । संस्कृत में परसर्गों का प्रयोग नहीं होता है, अपितु शब्द में ही कुछ परिवर्तन होता है । इन्ही परिवर्तनों को शब्दरूप कहते हैं ।

       कौन से परसर्ग के लिए कौन सा कारक व विभक्ति का प्रयोग होगा, उसे नीचे दिए चार्ट से समझते हैं-

विभक्ति, कारक व कारक चिह्न-

विभक्ति

कारक

कारक चिह्न

प्रथमा विभक्ति

कर्ता

ने

द्वितीया विभक्ति

कर्म

को

तृतीया विभक्ति

करण

से, के द्वारा, के साथ

चतुर्थी विभक्ति

सम्प्रदान

के लिए, को

पंचमी विभक्ति

अपादान

से (अलग होने हेतु)

षष्ठी विभक्ति

सम्बन्ध

का, के, की, रा, रे, री

सप्तमी विभक्ति

अधिकरण

में, पे, पर

प्रथमा विभक्ति

सम्बोधन

हे, अरे, भो

 

एक शब्दरूप से स्पष्टरुप से समझते हैं-

बालक शब्द रूप-

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

बालक:

बालकौ

बालका:

द्वितीया

बालकम्

बालकौ

बालकान्

तृतीया

बालकेन

बालकाभ्याम्

बालकै:

चतुर्थी

बालकाय

बालकाभ्याम्

बालकेभ्य:

पंचमी

बालकात्

बालकाभ्याम्

बालकेभ्य:

षष्ठी

बालकस्य

बालकयो:

बालकानाम्

सप्तमी

बालके

बालकयो:

बालकेषु

सम्बोधन

हे बालक

हे बालकौ

हे बालका:

बालक शब्द रुप अर्थ सहित

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

बालक:

बालकौ

बालका:

 

बालक ने

दो बालकों ने

सभी बालकों ने

द्वितीया

बालकम्

बालकौ

बालकान्

 

बालक को

दो बालकों को

सभी बालकों को

तृतीया

बालकेन

बालकाभ्याम्

बालकै:

 

बालक से, के द्वारा, के साथ

दो बालकों से, के द्वारा, के साथ

सभी बालकों से, के द्वारा, के साथ

चतुर्थी

बालकाय

बालकाभ्याम्

बालकेभ्य:

 

बालक के लिए

दो बालकों के लिए

सभी बालकों के लिए

पंचमी

बालकात्

बालकाभ्याम्

बालकेभ्य:

 

बालक से

दो बालकों से

सभी बालकों से

षष्ठी

बालकस्य

बालकयो:

बालकानाम्

 

बालक का, के, की, रा, रे, री

दो बालकों का, के, की, रा, रे, री

सभी बालकों का, के, की, रा, रे, री

सप्तमी

बालके

बालकयो:

बालकेषु

 

बालक में, पे, पर

दो बालकों

में, पे, पर

सभी बालकों में, पे, पर

सम्बोधन

हे बालक

हे बालकौ

हे बालका:

 

इस पोस्ट में कर्ता कारक व कर्म कारक से ही वाक्य बनाएँगे-

       अनुवाद के लिए सर्वप्रथम वाक्य में कारकों को पहचानना चाहिए । यदि कारकों को आसानी से पहचान लिया जाता है तो अनुवाद बड़ी सरलता से हो जाते हैं । कारक पहचानने के लिए कारक चिह्नों को याद करें । इस पोस्ट में कर्ता कारक व कर्म कारक से ही वाक्य बनाएँगे, अत: पहले दोनों कारकों के बारे में विस्तार से समझ लेते हैं-

1. कर्ता कारक-

       वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं अथवा क्रिया को स्वतन्त्र रूप से करने वाला “कर्ता” कहलाता है । कर्ता कारक में प्रथमा विभक्ति होती है । कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है । जैसे-

1. बालक घर जाता है ।

       इस वाक्य में बालक के बारे में बात की जा रही है अत: “बालक” कर्ता कारक है । कर्ता कारक का चिह्न सभी जगह नहीं दिखाई देता है, अत: जहाँ कर्ता कारक का चिह्न न दिखाई दे वहाँ परिभाषा से हमें कर्ता कारक को पहचानना चाहिए ।

 

2. कर्म कारक-

जिस वस्तु या व्यक्ति के ऊपर क्रिया का फल (प्रभाव) पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं अथवा जिस शब्द से वाक्य में यह ज्ञात हो कि इसको करने से ही कार्य समाप्त होगा वह कर्म कारक कहलाता है । कर्म कारक का चिह्न ‘को’ है । कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति होती है । कई वाक्यों में कर्म कारक का चिह्न नहीं मिलता है, उसे पहचानने का एक सरल तरीका है, वाक्य में क्या और कहाँ से जो शब्द उत्तर में मिले वही कर्म कारक होगा । जैसे-

(क). लता फल खाती है ।

इस वाक्य में ‘को’ चिह्न कहीं नहीं है । अब क्या और कहाँ का प्रयोग करके कर्म पहचानते हैं । लता फल खाती है- लता क्या खाती है, क्या प्रश्न से हमें उत्तर मिला- फल । अत: इस वाक्य में फल कर्म कारक है । अन्य उदाहरणों में भी कर्ता पहचानते  हैं-

(ख). अध्यापक छात्रों को पढाता है ।

इस वाक्य में ‘को’ चिह्न आ गया है, अत: “छात्रों” कर्म कारक है ।

(ग). उमा विद्यालय जाती है ।

इस वाक्य में ‘को’ चिह्न नहीं है, अत: हम क्या और कहाँ का प्रयोग करेंगे । लता कहाँ जाती है ? इसका हमें उत्तर मिलेगा विद्यालय, अत: इस वाक्य में लता कर्म कारक है ।


अनुवाद के महत्वपूर्ण बिन्दु-

       अनुवाद के लिए किसी भी वाक्य में चार बिन्दुओं को पहचानना आवश्यक है- 1. कारक  2. विभक्ति  3. वचन  4. क्रिया ।

1. कारक-

       कर्ता से और सम्बोधन तक, जिनके बारे में ऊपर विस्तार से बता दिया गया है ।

2. विभक्ति-

       प्रथमा से सप्तमी तक विभक्तियाँ होती हैं । कौन से कारक के से साथ कौन सी विभक्ति लगेगी वह कारक वाले चार्ट में बता दिया है ।

3. वचन-

       संस्कृत में तीन वचन होते हैं । यदि एक व्यक्ति या वस्तु के बारे में बात हो रही हो तो एकवचन होगा, दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बारे में बात हो रही हो तो द्विवचन होगा और यदि तीन या तीन से ज्यादा व्यक्तियों या वस्तुओं के बारे में बात की जा रही हो तो बहुवचन होगा ।


4.क्रिया-

       क्रिया सदा कर्ता के अनुसार चलेगी । कर्ता तीन प्रकार के होते हैं-

(I) प्रथम पुरुष-

       किसी अन्य के बारे में जब बात हो, तब कर्ता प्रथम पुरुष का होगा । कर्ता के वचनों के अनुसार क्रिया के वचन भी होंगे । ‘युष्मद्’ व ‘अस्मद्’ शब्द के अतिरिक्त सभी शब्दरूप प्रथम पुरुष में ही आते हैं ।


(II) मध्यम पुरुष-

       जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाएगा, उन्हे मध्यम पुरुष कहेंगे । मध्यम पुरुष में केवल “युष्मद्” सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है । युष्मद् के रूप- त्वम्, युवाम्, यूयम् (तुम, तुम दो, तुम सब ) ।


(III) उत्तम पुरुष-

       जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हे उत्तम पुरुष कहते हैं । उत्तम पुरुष में केवल “अस्मद्” सर्वनाम का ही प्रयोग किया जाता है । अस्मद् के रूप- अहम्, आवाम्, वयम् ।

    पुरुषों के बारे में विस्तार से पिछली पोस्ट में चर्चा की गई है । पोस्ट के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें-

भाग-1 पुरुषों से अनुवाद

 

आइये अब कर्ता व कर्म कारक के अनुवाद प्रारम्भ करते हैं-

यहाँ पर प्रथमा व द्वितीया विभक्ति के रूप भी दिए जा रहे हैं, ताकि आप अनुवाद आसनी से कर सकें-

पुल्लिंग- छात्र शब्द

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा विभक्ति

छात्र:

छात्रौ

छात्रा:

द्वितीया विभक्ति

छात्रम्

छात्रौ

छात्रान्

इसी प्रकार बालक, राम, रमेश, अध्यापक, दिनेश, अजय आदि के रूप भी चलेंगे ।


स्त्रीलिंग- लता शब्द

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा विभक्ति

लता

लते

लता:

द्वितीया विभक्ति

लताम्

लते

लता:

इसी प्रकार बालिका, छात्रा, महिला, रमा, अध्यापिका, सीता आदि के रूप भी चलेंगे ।


एक धातुरूप से भी परिचित होते हैं-

पठ् धातु- पढना । लट् लकार(वर्तमान काल) –

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमपुरुष

पठति

पठतः

पठन्ति

मध्यमपुरुष

पठसि

पठथः

पठथ

उत्तमपुरुष

पठामि

पठावः

पठामः

 

अनुवाद-

1. बालक विद्यालय जाता है ।

   बालक: विद्यालयं गच्छति ।

वाक्य

बालक

विद्यालय

जाता है ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

एकवचन

द्वितीया/

एकवचन

प्रथम पुरुष/

एकवचन

अनुवाद

बालक:

विद्यालयं

गच्छति

 

2. छात्र पुस्तक पढता है ।

    छात्र: पुस्तकं पठति ।

वाक्य

छात्र

पुस्तक

पढता है ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

एकवचन

द्वितीया/

एकवचन

प्रथम पुरुष/

एकवचन

अनुवाद

छात्र:

पुस्तकं

पठति ।

 

3. दो छात्र विद्यालय जाते हैं ।

    छात्रौ विद्यालयं गच्छत: ।

वाक्य

दो छात्र

विद्यालय

जाते हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

द्विवचन

द्वितीया/

एकवचन

प्रथम पुरुष/

द्विवचन

अनुवाद

छात्रौ

विद्यालयं

गच्छत:

 

4. सभी छात्र पुस्तकें पढते हैं ।

    छात्रा: पुस्तकानि पठन्ति ।

वाक्य

सभी छात्र

पुस्तकें

पढते हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

बहुवचन

द्वितीया/

बहुवचन

प्रथम पुरुष/

बहुवचन

अनुवाद

छात्रा:

विद्यालयं

गच्छन्ति

 

5. लता पत्र लिखती है ।

    लता पत्रं लिखति ।

वाक्य

लता

पत्र

लिखती है ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

एकवचन

द्वितीया/

एकवचन

प्रथम पुरुष/

एकवचन

अनुवाद

लता

पत्रं

लिखति ।

 

6. दो लड़कियाँ खाना खाती हैं ।

    बालिके भोजनं खादत: ।

वाक्य

दो लड़कियाँ

खाना

खाती हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

द्विवचन

द्वितीया/

एकवचन

प्रथम पुरुष/

द्विवचन

अनुवाद

बालिके

भोजनं

खादत:

 

7. सभी लड़कियाँ खेल खेलती हैं ।

    बालिका: खेलं खेलन्ति ।

वाक्य

सभी लड़कियाँ

खेल

खेलती हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

बहुवचन

द्वितीया/

एकवचन

प्रथम पुरुष/

बहुवचन

अनुवाद

बालिका:

खेलं

खेलन्ति

 

8. महिलाएँ रोटियाँ खाती हैं ।

    महिला: रोटिका: खादन्ति ।

वाक्य

महिलाएँ

रोटियाँ

खाती हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

बहुवचन

द्वितीया/

बहुवचन

प्रथम पुरुष/

बहुवचन

अनुवाद

महिला:

रोटिका:

खादन्ति

नोट- रोटी के लिए संस्कृत में “रोटिका” कहते हैं, यह स्त्रीलिंग का शब्द है अत: द्वितीया विभक्ति बहुवचन में “रोटिका:” रूप होता है ।

 

9. तुम पुस्तक पढते हो । (एकवचन)

    त्वं पुस्तकं पठसि ।

वाक्य

तुम

पुस्तक

पढते हो ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

एकवचन

द्वितीया/

एकवचन

मध्यम पुरुष/

एकवचन

अनुवाद

 त्वं

पुस्तकं

पठसि ।

 

10. तुम दोनों घर जाते हो ।

      युवां गृहं गच्छथ: ।

वाक्य

तुम दोनों

घर

जाते हो ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

द्विवचन

द्वितीया/

एकवचन

मध्यम पुरुष/

द्विवचन

अनुवाद

युवां

गृहं

गच्छथ:

 

11. तुम सभी शहर जाते हो ।

      यूयं नगरं गच्छथ ।

वाक्य

तुम सभी

शहर

जाते हो ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

बहुवचन

द्वितीया/

एकवचन

मध्यम पुरुष/

बहुवचन

अनुवाद

यूयं

नगरं

गच्छथ

 

12. मैं गाँव जाता हूँ ।

     अहं ग्रामं गच्छामि ।

वाक्य

मैं

गाँव

जाता हूँ ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

एकवचन

द्वितीया/

एकवचन

उत्तम पुरुष/

एकवचन

अनुवाद

अहं

ग्रामं

गच्छामि ।

 

13. हम दोनों पाठ पढते हैं ।

     आवां पाठं पठाव: ।

वाक्य

हम दोनों

पाठ

पढते हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

द्विवचन

द्वितीया/

एकवचन

उत्तम पुरुष/

द्विवचन

अनुवाद

आवां

पाठं

पठाव:

 

14. हम सभी चित्रों को बनाते हैं ।

       वयं चित्राणि रचयाम: ।

वाक्य

हम सभी

चित्रों को

बनाते हैं ।

कारक

कर्ता

कर्म

क्रिया

विभक्ति/

वचन

प्रथमा/

बहुवचन

द्वितीया/

एकवचन

उत्तम पुरुष/

बहुवचन

अनुवाद

वयं

चित्राणि

रचयाम: ।

 

अन्य वाक्यों के अनुवाद-

1. वह बालक समाचार देखता है ।

    स: बालक: समाचरं पश्यति ।

2. वे सभी आदमी बातें करते हैं ।

     ते सर्वे  पुरुषा: वार्तालपं कुर्वन्ति ।

3. अध्यापिकाएँ पाठों को पढाती हैं ।

    अध्यापिका: पाठान् पाठयन्ति ।

4. सीता खेल खेलती है ।

    सीता खेलं खेलति ।

5. तुम सभी घर जाते हो ।

    यूयं गृहं गच्छथ ।

6. मैं दिल्ली जा रहा हूँ ।

    अहं दिल्लीनगरं गच्छामि ।

 

धन्यवाद ।


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1 Comments

  1. Bahut hi sahi tareeke se btaya apke mahodaya
    Dhanywaad

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साथियों ! यह पोस्ट अपको कैसे लगी, कमेंट करके अवश्य बताएँ, यदि आप किसी टोपिक पर जानकारी चाहते हैं तो वह भी बता सकते हैं ।