संस्कृत में अनुवाद भाग- 5
अधिकरण कारक व सम्बोधन से अनुवाद
इस पोस्ट में अधिकरण कारक व सम्बोधन से अनुवाद कार्य किया जा रहा है । पिछली चार पोस्टों में पुरुषों व अन्य कारकों से अनुवाद कार्य किया गया है । आप प्रारम्भ से अनुवाद सीखने के लिए उन पोस्टों को पहले पढ लें ताकि यह पोस्ट आसानी से आपकी समझ में आ जाए । पोस्ट के लिंक यहाँ दिए जा रहे हैं –
पाठ-1 पुरुषों से अनुवाद
पाठ- 2 कर्ता व कर्म कारक से अनुवाद
पाठ- 3 करण व सम्प्रदान कारकों से अनुवाद
पाठ- 4 अपादान कारक व सम्बन्ध से अनुवाद
सर्वप्रथम कारक चिह्नों से परिचित होते हैं-
विभक्ति, कारक व कारक चिह्न-
विभक्ति |
कारक |
कारक चिह्न |
प्रथमा विभक्ति |
कर्ता |
ने |
द्वितीया विभक्ति |
कर्म |
को |
तृतीया विभक्ति |
करण |
से, के द्वारा,
के साथ |
चतुर्थी विभक्ति |
सम्प्रदान |
के लिए, को |
पंचमी विभक्ति |
अपादान |
से (अलग होने
हेतु) |
षष्ठी विभक्ति |
सम्बन्ध |
का, के, की,
रा, रे, री |
सप्तमी विभक्ति |
अधिकरण |
में, पे,
पर |
प्रथमा विभक्ति |
सम्बोधन |
हे, अरे,
भो |
बालक
शब्द रुप अर्थ सहित
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालक: |
बालकौ |
बालका: |
|
बालक ने |
दो बालकों ने |
सभी बालकों ने |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान् |
|
बालक को |
दो बालकों को |
सभी बालकों को |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकै: |
|
बालक से, के द्वारा, के साथ |
दो बालकों से, के द्वारा, के साथ |
सभी बालकों से, के द्वारा, के साथ |
चतुर्थी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
|
बालक के लिए |
दो बालकों के लिए |
सभी बालकों के लिए |
पंचमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
|
बालक से |
दो बालकों से |
सभी बालकों से |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयो: |
बालकानाम् |
|
बालक का, के, की, रा, रे, री |
दो बालकों का, के, की, रा, रे, री |
सभी बालकों का, के, की, रा, रे, री |
सप्तमी |
बालके |
बालकयो: |
बालकेषु |
|
बालक में, पे, पर |
दो बालकों में, पे, पर |
सभी बालकों में, पे, पर |
सम्बोधन |
हे बालक |
हे बालकौ |
हे बालका: |
विशेष- कर्ता कारक से सम्बन्ध तक एक बार पुन: परिचित
हो जाते हैं-
1. कर्ता कारक-
वाक्य
में जिस व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाता है, या वाक्य में जो काम कर रहा
हो उसे कर्ता कारक कहते हैं ।
2. कर्म कारक-
जिस
वस्तु या व्यक्ति के ऊपर क्रिया का फल (प्रभाव) पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं अथवा
जिस शब्द से वाक्य में यह ज्ञात हो कि इसको करने से ही कार्य समाप्त होगा वह कर्म कारक
कहलाता है ।
3. करण कारक-
क्रिया
की सिद्धि में जो अत्यन्त सहायक होता है, उसे करण कारक कहते हैं । अर्थात् कर्ता जिस
किसी क्रिया को करता है उस क्रिया को करने में जो सहायता करे उसे करण कारक कहते हैं
।
4. सम्प्रदान कारक-
जिसे
कुछ दिया जाता वह सम्प्रदान कारक होता है ।
5. अपादान कारक-
जिससे
कोई व्यक्ति या वस्तु अलग हो, उसे अपादान कारक कहते हैं ।
6. सम्बन्ध-
किसी
सम्बन्ध विशेष को बताने के लिए सम्बन्ध का प्रयोग किया जाता है अर्थात् कर्ता का किसी
अन्य के साथ सम्बन्ध दर्शाने के लिए सम्बन्ध का प्रयोग किया जाता है ।
अब अधिकरण कारक को विस्तार से समझते हैं -
अधिकरण कारक-
क्रिया के आधार को अधिकरण कारक कहते हैं । सामान्य रूप में समझें तो जिस स्थान पर किसी वस्तु का आधार हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं । अधिकरण कारक के चिह्न “में, पे, पर” हैं । इसमें सप्तमी विभक्ति होती है ।
अब अनुवाद कार्य प्रारम्भ करते हैं, सर्वप्रथम
तीनों लिंगों के 1-1 शब्दरूप से परिचित होते हैं, ताकि अनुवाद आसानी से बना सकें-
बालक
शब्द- पुल्लिंग
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालक: |
बालकौ |
बालका: |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान् |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकै: |
चतुर्थी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
पंचमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयो: |
बालकानाम् |
सप्तमी |
बालके |
बालकयो: |
बालकेषु |
सम्बोधन |
हे बालक |
हे बालकौ |
हे बालका: |
# इसी प्रकार से छात्र, राम, रमेश, दिनेश, अजय, विजय
आदि अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप भी चलेंगे ।
रमा शब्द- स्त्रीलिंग
विभक्ति |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमा |
रमा |
रमे |
रमाः |
द्वितीया |
रमाम् |
रमे |
रमाः |
तृतीया |
रमया |
रमाभ्याम् |
रमाभिः |
चतुर्थी |
रमायै |
रमाभ्याम् |
रमाभ्यः |
पंचमी |
रमाया: |
रमाभ्याम् |
रमाभ्यः |
षष्ठी |
रमाया: |
रमयो: |
रमाणाम् |
सप्तमी |
रमायाम् |
रमयो: |
रमासु |
सम्बोधन |
हे
रमे |
हे
रमे |
हे
रमा: |
# इसी प्रकार से लता, सीता, गीता, छात्रा, बालिका,
महिला आदि आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप भी चलेंगे ।
फल शब्द- नपुंसकलिंग
विभक्ति |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमा |
फलम् |
फले |
फलानि |
द्वितीया |
फलम् |
फले |
फलानि |
तृतीया |
फलेन |
फलाभ्याम् |
फलैः |
चतुर्थी |
फलाय |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
पञ्चमी |
फलात् |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
षष्ठी |
फलस्य |
फलयोः |
फलानाम् |
सप्तमी |
फले |
फलयोः |
फलेषु |
सम्बोधन |
हे
फलम् |
हे
फले |
हे
फलानि |
# इसी प्रकार
पुस्तकम्, वस्त्रम्, पुष्पम्, कलमम्, पत्रम् आदि अकारान्त नपुंसक लिंग शब्दों के रूप
भी चलेंगे ।
पठ् धातु- पढना (लट् लकार-वर्तमान
काल)-
|
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथम
पुरुष |
पठति |
पठत: |
पठन्ति |
मध्यम
पुरुष |
पठसि |
पठथ: |
पठथ |
उत्तम
पुरुष |
पठामि |
पठाव: |
पठाम: |
अधिकरण कारक के अनुवाद-
1. पेड़ पर फल हैं ।
वृक्षे
फलानि सन्ति ।
वाक्य |
पेड़
पर |
फल |
हैं
। |
कारक |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
सप्तमी/ एकवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम
पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
वृक्षे |
फलानि |
सन्ति |
2. कक्षा में छात्र हैं ।
कक्षायां
छात्रा: सन्ति ।
वाक्य |
कक्षा
में |
छात्र |
हैं
। |
कारक |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
सप्तमी/ एकवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम
पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
कक्षायां |
छात्रा: |
सन्ति |
3. जंगल में पेड़ हैं ।
वने वृक्षा:
सन्ति ।
वाक्य |
जंगल
में |
पेड़ |
हैं
। |
कारक |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
सप्तमी/ एकवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम
पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
वने |
वृक्षा: |
सन्ति |
4. गाँव में घर हैं ।
ग्रामे
गृहाणि सन्ति ।
वाक्य |
गाँव
में |
घर |
हैं
। |
कारक |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
सप्तमी/ एकवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम
पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
ग्रामे |
गृहाणि |
सन्ति |
5. शेर वन में रहता है ।
सिंह:
वने वसति ।
वाक्य |
शेर |
वन
में |
रहता
है । |
कारक |
कर्ता |
अधिकरण |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
सप्तमी/ एकवचन |
प्रथम
पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
सिंह: |
वने |
वसति |
6. मालाओं में फूल हैं ।
मालासु
पुष्पाणि सन्ति ।
वाक्य |
मालाओं
में |
फूल |
हैं
। |
कारक |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
सप्तमी/ बहुवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम
पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
मालासु |
पुष्पाणि |
सन्ति |
7. फूलों पर भौंरे गुनगुना रहे हैं ।
पुष्पेषु
भ्रमरा गुञ्जन्ति ।
वाक्य |
फूलों
पर |
भौंरे |
गुनगुना
रहे हैं । |
कारक |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
सप्तमी/ बहुवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम
पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
मालासु |
पुष्पाणि |
सन्ति |
8. राम के हाथों में पुस्तक है ।
रामस्य
हस्तयो: पुस्तकं अस्ति ।
वाक्य |
राम
के |
हाथों
में |
पुस्तक |
है
। |
कारक |
सम्बन्ध |
अधिकरण |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
षष्ठी/ एकवचन |
सप्तमी/ द्विवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथम
पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
रामस्य |
हस्तयो: |
पुस्तकं |
अस्ति |
मनुष्य के दो हाथ होते हैं, अत: हाथ के लिए सप्तमी
द्विवचन का प्रयोग हुआ है ।
अधिकरण के अन्य वाक्य-
1. विद्यालय में छात्र पढते हैं ।
विद्यालये
छात्रा: पठन्ति ।
2. पक्षी घोंसलों में रहते हैं ।
खगा:
नीडेषु निवसन्ति ।
3. सरोवर में कमल खिलते हैं ।
सरोवरेषु
कमलानि विकसन्ति ।
4. आकाश में कबूतर उड़ रहे हैं ।
आकाशे
कपोता: उत्पतन्ति ।
5. घड़े में जल है ।
घटे जलम्
अस्ति ।
सम्बोधन-
सम्बोधन
का प्रयोग सामान्यत: किसी को पुकारने या सम्बोधित करने के लिए किया जाता है । सम्बोधन
के चिहन “हे, अरे, भो” हैं । इसमें प्रथमा विभक्ति होती है । सम्बोधन सामान्यत: मध्यम
पुरुष में ही प्रयोग होता है, क्योंकि जिससे हम बात करते हैं वह मध्यम पुरुष ही होता
है ।
सम्बोधन के अनुवाद-
1. हे राम ! तुम पुस्तक पढते हो ।
हे राम
! त्वं पुस्तकं पठसि ।
2. हे रमा ! तुम कहाँ जाना चाहती हो ।
हे रमे
! त्वं कुत्र गन्तुम् इच्छसि ।
3. हे छात्रों ! तुम सभी पत्र लिखो ।
भो छात्रा:
! यूयं पत्राणि लिखत ।
4. अरे रमेश ! तुम क्या खा रहे हो ।
अरे रमेश
! त्वं किं खादसि ।
5. अरे बालकों ! तुम सभी घर जाओ ।
अरे बालका:
! यूयं गृहं गच्छत ।
धन्यवाद ।
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