संस्कृत में अनुवाद भाग- 4
अपादान कारक व सम्बन्ध से अनुवाद
इस पोस्ट में अपादान कारक व सम्बन्ध से अनुवाद कार्य किया जा रहा है । अपादान पंचम कारक है, जबकि सम्बन्ध कारकों में नहीं गिना जाता है, क्योंकि इसका क्रिया के साथ सीधा सम्बन्ध नहीं रहता है ।
पिछली दो पोस्टों में कर्ता, कर्म, करण व सम्प्रदान
कारकों से अनुवाद कार्य किया गया है । यदि आपने अनुवाद के भाग-1 भाग- 2 व भाग- 3 की
पोस्ट नहीं पढी है तो पहले उन तीनों को क्रम से पढिए, उसके बाद ही आप इस पोस्ट को आसानी
से समझ पाएँगे । तीनों पोस्ट के लिंक यहाँ दिए जा रहे हैं-
पाठ-1 पुरुषों से अनुवाद
पाठ- 2 कर्ता व कर्म कारक से अनुवाद
पाठ- 3 करण व सम्प्रदान कारकों से अनुवाद
सर्वप्रथम
कारक चिह्नों से परिचित होते हैं-
विभक्ति, कारक व कारक चिह्न-
विभक्ति |
कारक |
कारक चिह्न |
प्रथमा विभक्ति |
कर्ता |
ने |
द्वितीया विभक्ति |
कर्म |
को |
तृतीया विभक्ति |
करण |
से, के द्वारा,
के साथ |
चतुर्थी विभक्ति |
सम्प्रदान |
के लिए, को |
पंचमी विभक्ति |
अपादान |
से (अलग होने
हेतु) |
षष्ठी विभक्ति |
सम्बन्ध |
का, के, की,
रा, रे, री |
सप्तमी विभक्ति |
अधिकरण |
में, पे,
पर |
प्रथमा विभक्ति |
सम्बोधन |
हे, अरे,
भो |
बालक
शब्द रुप अर्थ सहित
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालक: |
बालकौ |
बालका: |
|
बालक ने |
दो बालकों ने |
सभी बालकों ने |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान् |
|
बालक को |
दो बालकों को |
सभी बालकों को |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकै: |
|
बालक से, के द्वारा, के साथ |
दो बालकों से, के द्वारा, के साथ |
सभी बालकों से, के द्वारा, के साथ |
चतुर्थी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
|
बालक के लिए |
दो बालकों के लिए |
सभी बालकों के लिए |
पंचमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
|
बालक से |
दो बालकों से |
सभी बालकों से |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयो: |
बालकानाम् |
|
बालक का, के, की, रा, रे, री |
दो बालकों का, के, की, रा, रे, री |
सभी बालकों का, के, की, रा, रे, री |
सप्तमी |
बालके |
बालकयो: |
बालकेषु |
|
बालक में, पे, पर |
दो बालकों में, पे, पर |
सभी बालकों में, पे, पर |
सम्बोधन |
हे बालक |
हे बालकौ |
हे बालका: |
एक
बार पुन: पहले किए गए कारकों की परिभाषा से परिचित होते हैं-
1. कर्ता कारक-
वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के बारे में
कुछ कहा जाता है, या वाक्य में जो काम कर रहा हो उसे कर्ता कारक कहते हैं । इसका चिह्न
‘ने’ है । इसमें प्रथमा विभक्ति होती है । जैसे-
(I)
लता पत्र लिखती है ।
इस वाक्य में लता के बारे में बात की जा रही
है और लता ही काम भी कर रही है, अत: लता कर्ता कारक है ।
2. कर्म कारक-
जिस वस्तु या व्यक्ति के ऊपर क्रिया का फल
(प्रभाव) पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं अथवा जिस शब्द से वाक्य में यह ज्ञात हो
कि इसको करने से ही कार्य समाप्त होगा वह कर्म कारक कहलाता है । कर्म कारक का चिह्न
‘को’ है । कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति होती है । कई वाक्यों में कर्म कारक का चिह्न
नहीं मिलता है, उसे पहचानने का एक सरल तरीका है, वाक्य में क्या और कहाँ से जो शब्द
उत्तर में मिले वही कर्म कारक होगा । जैसे-
(क).
लता फल खाती है ।
इस
वाक्य में ‘को’ चिह्न कहीं नहीं है । अब क्या और कहाँ का प्रयोग करके कर्म पहचानते
हैं । लता फल खाती है- लता क्या खाती है, क्या प्रश्न से हमें उत्तर मिला- फल । अत:
इस वाक्य में फल कर्म कारक है ।
3. करण कारक-
क्रिया की सिद्धि में जो अत्यन्त सहायक
होता है, उसे करण कारक कहते हैं । अर्थात् कर्ता जिस किसी क्रिया को करता है उस क्रिया
को करने में जो सहायता करे उसे करण कारक कहते हैं । करण कारक में तृतीया विभक्ति होती
है । करण कारक के चिह्न- ‘से, के द्वारा, के साथ” हैं । उदाहरण-
(I)
मोहन बस से विद्यालय जाता है ।
इस वाक्य में “जाता है” क्रिया है । जाने की
सहायता बस कर रही है अत: बस करण कारक है ।
4. सम्प्रदान कारक-
जिसे कुछ दिया जाता वह सम्प्रदान कारक होता
है । सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है । सम्प्रदान कारक का चिह्न “के लिए,
को” हैं ।
“को” चिह्न सम्प्रदान कारक में तभी प्रयोग होगा जब दान
दिया जाएगा, अन्य जगह “को” चिह्न कर्म कारक में ही प्रयोग होगा । उदाहरण-
(I)
पिता पुत्र को धन देता है ।
इस वाक्य में पुत्र को धन दिया जा रहा है, अत:
पुत्र सम्प्रदान कारक है ।
5. अपादान कारक-
जिससे कोई व्यक्ति या वस्तु अलग हो, उसे अपादान
कारक कहते हैं । अपादान कारक का चिह्न ‘से’ है । इसमें पंचमी विभक्ति होती है । जैसे-
(I)
पेड़ से पत्ता गिरता है ।
इस वाक्य में पेड़ से पत्ता अलग हो रहा है, अत:
पेड़ अपादान कारक है और पत्ते के बारे में बात हो रही है, अत: पत्ता कर्ता कारक है ।
एक बात का विशेष ध्यान रखें कि करण कारक का
चिह्न भी ‘से’ होता है और अपादान कारक का चिह्न
भी ‘से’ होता है, फिर दोनों में क्या अन्तर है ? करण कारक में कर्ता करण के साथ होता
है, जबकि अपादान कारक में कर्ता अलग हो जाता है । जैसा कि ऊपर उदाहरण में आप देख चुके
हैं |
6. सम्बन्ध-
किसी सम्बन्ध विशेष को बताने के लिए सम्बन्ध
का प्रयोग किया जाता है अर्थात् कर्ता का किसी अन्य के साथ सम्बन्ध दर्शाने के लिए
सम्बन्ध का प्रयोग किया जाता है । सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति होती है । सम्बन्ध के
चिह्न- “का, के, की, रा, रे, री” हैं । उदाहरण-
(I)
राम का भाई लक्ष्मण है ।
इस वाक्य में लक्ष्मण का सम्बन्ध राम के साथ
दिखाया गया है अत: राम सम्बन्ध है । साथ ही राम के बाद “का” चिह्न का प्रयोग हुआ है, अत: चिह्न से भी सम्बन्ध पहचान सकते हैं ।
अब अनुवाद कार्य प्रारम्भ करते हैं-
सर्वप्रथम तीनों लिंगों के 1-1 शब्दरूप से परिचित
होते हैं, ताकि अनुवाद आसानी से बना सकें-
बालक
शब्द- पुल्लिंग
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
बालक: |
बालकौ |
बालका: |
द्वितीया |
बालकम् |
बालकौ |
बालकान् |
तृतीया |
बालकेन |
बालकाभ्याम् |
बालकै: |
चतुर्थी |
बालकाय |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
पंचमी |
बालकात् |
बालकाभ्याम् |
बालकेभ्य: |
षष्ठी |
बालकस्य |
बालकयो: |
बालकानाम् |
सप्तमी |
बालके |
बालकयो: |
बालकेषु |
सम्बोधन |
हे बालक |
हे बालकौ |
हे बालका: |
# इसी प्रकार से छात्र, राम, रमेश, दिनेश, अजय, विजय
आदि अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप भी चलेंगे ।
रमा शब्द- स्त्रीलिंग
विभक्ति |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमा |
रमा |
रमे |
रमाः |
द्वितीया |
रमाम् |
रमे |
रमाः |
तृतीया |
रमया |
रमाभ्याम् |
रमाभिः |
चतुर्थी |
रमायै |
रमाभ्याम् |
रमाभ्यः |
पंचमी |
रमाया: |
रमाभ्याम् |
रमाभ्यः |
षष्ठी |
रमाया: |
रमयो: |
रमाणाम् |
सप्तमी |
रमायाम् |
रमयो: |
रमासु |
सम्बोधन |
हे
रमे |
हे
रमे |
हे
रमा: |
# इसी प्रकार से लता, सीता, गीता, छात्रा, बालिका,
महिला आदि आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप भी चलेंगे ।
फल शब्द- नपुंसकलिंग
विभक्ति |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमा |
फलम् |
फले |
फलानि |
द्वितीया |
फलम् |
फले |
फलानि |
तृतीया |
फलेन |
फलाभ्याम् |
फलैः |
चतुर्थी |
फलाय |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
पञ्चमी |
फलात् |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
षष्ठी |
फलस्य |
फलयोः |
फलानाम् |
सप्तमी |
फले |
फलयोः |
फलेषु |
सम्बोधन |
हे
फलम् |
हे
फले |
हे
फलानि |
# इसी प्रकार
पुस्तकम्, वस्त्रम्, पुष्पम्, कलमम्, पत्रम् आदि अकारान्त नपुंसक लिंग शब्दों के रूप
भी चलेंगे ।
पठ् धातु- पढना (लट् लकार-वर्तमान
काल)-
|
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथम
पुरुष |
पठति |
पठत: |
पठन्ति |
मध्यम
पुरुष |
पठसि |
पठथ: |
पठथ |
उत्तम
पुरुष |
पठामि |
पठाव: |
पठाम: |
अनुवाद कार्य-
अपादान कारक-
1.
पेड़ से पत्ते गिरते हैं ।
वृक्षात् पत्राणि पतन्ति ।
वाक्य |
पेड़
से |
पत्ते |
गिरते
हैं । |
कारक |
अपादान |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
पंचमी/ एकवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
वृक्षात् |
पत्राणि |
पतन्ति |
2.
हिमालय से गंगा निकलती है ।
हिमालयात् गंगा निस्सरति ।
वाक्य |
हिमालय
से |
गंगा |
निकलती
है । |
कारक |
अपादान |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
पंचमी/ एकवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
हिमालयात् |
गंगा |
निस्सरति |
3.
छात्र विद्यालय से गाँव जाते हैं ।
छात्रा: विद्यालयात् ग्रामं गच्छन्ति ।
वाक्य |
छात्र |
विद्यालय
से |
गाँव |
जाते
हैं । |
कारक |
कर्ता |
अपादान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
पंचमी/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
छात्रा: |
विद्यालयात् |
ग्रामं |
गच्छन्ति
|
4.लड़कियाँ
गाँव से शहर जाती हैं ।
बालिका: ग्रामात् नगरं गच्छन्ति ।
वाक्य |
लड़कियाँ |
गाँव
से |
शहर |
जाती
हैं । |
कारक |
कर्ता |
अपादान |
कर्म |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
पंचमी/ एकवचन |
द्वितीया/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
बालिका: |
ग्रामात् |
नगरं |
गच्छन्ति
|
5.
पेड़ों से फल गिरते हैं ।
वृक्षेभ्य: फलानि पतन्ति ।
वाक्य |
पेड़ों
से |
फल |
गिरते
हैं । |
कारक |
अपादान |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
पंचमी/ बहुवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
वृक्षेभ्य: |
फलानि |
पतन्ति |
6.
साँप बिल से निकलता है ।
सर्प: बिलात् निर्गच्छति ।
वाक्य |
साँप |
बिल
से |
निकलता है
। |
कारक |
कर्ता |
अपादान |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
पंचमी/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
सर्प: |
बिलात् |
निर्गच्छति |
अनुवाद
कार्य-
सम्बन्ध-
1.
लता का भाई विजय है ।
लताया: भ्राता विजय: अस्ति ।
वाक्य |
लता
का |
भाई |
विजय |
है
। |
कारक |
सम्बन्ध |
(सम्बन्ध
सूचक शब्द) |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
षष्ठी/ एकवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
लताया: |
भ्राता |
विजय: |
अस्ति |
2.
यह छात्रों का विद्यालय है ।
अयं छात्राणां विद्यालय: अस्ति ।
वाक्य |
यह |
छात्रों
का |
विद्यालय |
है
। |
कारक |
कर्ता (सार्वनामिक विशेषण) |
सम्बन्ध
|
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
षष्ठी/ एकवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
अयं |
छात्राणां |
विद्यालय: |
अस्ति |
“यह”
शब्द “विद्यालय” का सार्वनामिक विशेषण है ।
3.
वे मेरी पुस्तकें हैं ।
तानि मम पुस्तकानि सन्ति ।
वाक्य |
वे |
मेरी |
पुस्तकें |
हैं
। |
कारक |
कर्ता (सार्वनामिक विशेषण) |
सम्बन्ध
|
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
षष्ठी/ एकवचन |
प्रथमा/ बहुवचन |
प्रथम पुरुष/ बहुवचन |
अनुवाद |
तानि |
मम |
पुस्तकानि |
सन्ति |
“वे”
शब्द “पुस्तकें” का सार्वनामिक विशेषण है । ‘मैं’ से ‘मेरी’ शब्द बनता है । अहम् का
षष्ठी एकवचन में “मम” रूप बना ।
4.
अजय का दोस्त विजय है ।
अजयस्य मित्रं विजय: अस्ति ।
वाक्य |
अजय
का |
दोस्त |
विजय |
है
। |
कारक |
सम्बन्ध |
(सम्बन्ध
सूचक शब्द) |
कर्ता |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
षष्ठी/ एकवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
अजयस्य |
मित्रं |
विजय: |
अस्ति |
5.
भारत हमारा देश है ।
भारतम् अस्माकं राष्ट्र: अस्ति ।
वाक्य |
भारत |
हमारा |
देश |
है
। |
कारक |
कर्ता |
सम्बन्ध
|
कर्ता (सम्बन्ध
सूचक शब्द) |
क्रिया |
विभक्ति/ वचन |
प्रथमा/ एकवचन |
षष्ठी/ बहुवचन |
प्रथमा/ एकवचन |
प्रथम पुरुष/ एकवचन |
अनुवाद |
भारतम् |
अस्माकं |
राष्ट्र: |
अस्ति |
अन्य
अनुवाद कार्य-
अपादान कारक-
1.
उमा उद्यान से फूल लाती है ।
उमा उद्यानात् पुष्पाणि आनयति ।
2.
पक्षी पेड़ से उड़ते हैं ।
खगा: वृक्षात् उत्पतन्ति ।
3.
मैं घर से बाजार जाता हूँ ।
अहं गृहात् आपणं गच्छामि ।
4.
हाथ से कलम गिरती है ।
हस्तात् कलमं पतति ।
5.
विमल घोड़े से गिरता है ।
विमल: अश्वात् पतति ।
सम्बन्ध के अनुवाद
1.
उत्सव की माता रीमा है ।
उत्सवस्य माता रीमा अस्ति ।
2.
कक्षा के बाहर छात्र हैं ।
कक्षाया: बहि: छात्रा सन्ति ।
3.
सीता के चाचा देवेश हैं ।
सीताया: पितृव्य: देवेश: अस्ति ।
4.
रामायण संस्कृत की पुस्तक है ।
रामायणं संस्कृतस्य पुस्तकं अस्ति ।
5.
मेरा भाई सुरेश है ।
मम भ्राता सुरेश: अस्ति ।
धन्यवाद
।
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