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यजुर्वेद की सम्पूर्ण जानकारी । Complete information about Yajurveda । यजुर्वेद के मन्त्र, अध्याय व विभाग । Yajurveda ki Jankari |

यजुर्वेद की सम्पूर्ण जानकारी          

Complete information about Yajurveda

 

          "वेद" प्राचीन भारत के पवित्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं । वेद न केवल भारत के अपितु विश्व के सबसे प्रचीन ग्रन्थ हैं । वेदों में विश्व के मानव के कल्याण के लिए वर्णन हैं  । भारतीय संस्कृति में वेद वर्णाश्रम धर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं । मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था, इसलिए वेदों को 'श्रुति' भी कहा जाता है  । वेद चार हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ।


https://youtu.be/Ykzo20gsOcU
Yajurveda


          इस पोस्ट में यजुर्वेद की सम्पूर्ण जानकारी (Yajurveda ki sampurn jankari) प्रदान की जा रही है । यजुर्वेद में मुख्यरूप से यज्ञादि विषयों का वर्णन है ।

 


यजुर्वेद- एक सामान्य परिचय  -

Yajurveda- A General Introduction-


# 'यजुः' शब्द 'यज्' धातु से निष्पन्न है । 'यजुः' का अर्थ यज्ञ या पूजा है ।

# ‘इज्यते अनेनेति यजुः' अर्थात् जिन मंत्रो से यज्ञ किये जाते हैं, उन्हें यजु: कहते हैं ।

# 'अनियताक्षरावसानो यजुः" जिसमें अक्षरों की संख्या निश्चित न हो, वह यजु: है ।

# 'यजुषां वेद, यजुर्वेद: इति' अर्थात् जो यजुषों का वेद हो, वह 'यजुर्वेद' है ।

# यजुर्वेद के अधिकांशतः मन्त्र गद्यात्मक हैं, कुछ मन्त्र पद्यात्मक भी हैं ।

# पातंजलि ने यजुर्वेद की 100 शाखाएँ स्वीकारी हैं ।

 # शौनक ने चरणव्यूह में यजुर्वेद की 86 शाखाएँ स्वीकारी हैं ।

# यजुर्वेद का ऋत्विक् अध्वर्यु है ।

# यजुर्वेद का मुख्य देवता वायु है ।

# यजुर्वेद का मुख्याचार्य वैशम्पायन है ।

# यजुर्वेद का उपवेद धनुर्वेद है ।

 

यजुर्वेद के भाग Portions of the Yajurveda-

 

# यजुर्वेद के मुख्य 2 भाग हैं-

1. शुक्ल यजुर्वेद       2. कृष्ण यजुर्वेद

 

 शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद के विभाग का कारण-

 

# जिसमें सिर्फ मन्त्र भाग है, वह शुक्ल यजुर्वेद है ।

# जिसमें मंत्र भाग व ब्राह्मण भाग दोनों वर्णित हैं, वह कृष्ण यजुर्वेद है। कृष्ण यजुर्वेद में मन्त्रों के विनियोग, विवरण और व्याख्या भी है ।

# शुक्ल यजुर्वेद आदित्य सम्प्रदाय का प्रतिनिधि ग्रन्थ है ।

# कृष्ण यजुर्वेद ब्रह्म सम्प्रदाय का प्रतिनिधि ग्रन्थ है ।

 

शुक्ल यजुर्वेद का विस्तृत परिचय

Detailed introduction of Shukla Yajurveda

 

शुक्ल यजुर्वेद- वर्तमान में शुक्ल यजुर्वेद की 2 शाखाएँ उपलब्ध होती हैं-

 1. माध्यन्दिन शाखा (वाजसनेय)     2. काण्व शाखा

 

# 1. माध्यन्दिन शाखा- इसे वाजसनेय शाखा भी कहते हैं। इसमें कुल 40 अध्याय, 303 अनुवाक और 1975 मन्त्र या कण्डिकाएँ हैं ।

 

# 2. काण्व शाखा- इसमें कुल 40 अध्याय, 328 अनुवाक और 2086 मन्त्र या कण्डिकाएँ हैं ।

 

# माध्यन्दिन व काण्व शाखा का प्रतिपाद्य विषय समान केवल अध्याय या मन्त्रों के क्रम में दोनों का अन्तर है।

 

शुक्ल यजुर्वेद- माध्यन्दिन शाखा का प्रतिपाद्य विषय

 

# अध्याय 1 व 2 में दर्श (अमावस्या) व पौर्णमास (पूर्णिमा) से सम्बन्ध यागों का वर्णन है ।

# अध्याय 3 में अग्निहोत्र और चातुर्मास इष्टियों का वर्णन है ।

# अध्याय 4 से 8 तक अग्निष्टोम और सोमयाग का वर्णन है।

# अध्याय 9 व 10 में वाजपेय व राजसूय यागों का वर्णन है ।

# अध्याय 11 से 18 तक अग्निचयन व विविध वेदियों के निर्माण से सम्बन्धित मन्त्र हैं ।

# अध्याय 19 से 21 में सौत्रामणी याग का विधान है ।

# अध्याय 22 से 25 में अश्वमेध यज्ञ का विस्तृत वर्णन है ।

# अध्याय 26 से 29 खिल अध्याय हैं ।

# अध्याय 30 में पुरुषमेध का वर्णन है।

# अध्याय 31 को पुरुषसूक्त कहते हैं। इसमें विराट् पुरुष के स्वरूप का वर्णन है ।

# अध्याय 32 में विराट् पुरुष के दार्शनिक व आध्यात्मिक स्वरूप का वर्णन है ।

# अध्याय 33 में सर्वमेध सूक्त का वर्णन है ।

# अध्याय 34 के आरम्भिक 6 मन्त्रों में शिवसंकल्प सूक्त है, बाकी मन्त्रों में अन्य देवताओं की स्तुति है।

# अध्याय 35 में पितृमेध का वर्णन है ।

# अध्याय 36 से 38 में प्रावर्ग्य नामक यज्ञ का वर्णन है ।

# अध्याय 39 में अन्त्येष्टि संस्कार से सम्बन्धित मंत्र हैं ।

# अध्याय 40 ईशावास्योपनिषद् उपदिष्ट है । यह उपनिषद् सभी उपनिषदों में प्रथम परिगणित है ।

 

 

शुक्ल यजुर्वेद का वाङ्ग्मय

Shukla Yajurveda literature-

# ब्राह्मण- शतपथ ब्राह्मण

# आरण्यक- बृहदारण्यक

# उपनिषद् - ईशावास्योपनिषद्, वृहदारण्यकोपनिषद्

 

विशेष-

# शुक्ल यजुर्वेद का पहला मन्त्र- ओ३म् इसे त्वोर्जे त्वा वायव स्थ देवो वः........ है ।

 

 

कृष्ण यजुर्वेद का विस्तृत परिचय

Detailed introduction of Krishna Yajurveda

 

# कृष्ण यजुर्वेद की 4 शाखाएँ उपलब्ध हैं

# 1. तैत्तिरीय          2. मैत्रायणी

   3. कठ                  4. कपिष्ठल

 

1. तैत्तिरीय शाखा-

 

# तैत्तिरीय शाखा में 7 काण्ड, 44 प्रपाठक, 631 अनुवाक और 2198 कण्डिकाएँ (मन्त्र) हैं ।

 

2. मैत्रायणी शाखा-

 

# मैत्रायणी शाखा में 4 काण्ड, 54 प्रपाठक, 634 अनुवाक और 3144 मन्त्र हैं। इस शाखा में मन्त्रो का स्वरांकन नहीं किया गया है।

 

3. कठ शाखा-

 

# कठ शाखा में 5 खण्ड, 40 स्थानक, 843 अनुवाक और 3091 मन्त्र हैं ।

 

4. कपिष्ठल शाखा-

 

# कपिष्ठल शाखा वर्तमान में अपूर्ण रूप में उपलब्ध है। इस शाखा के 6 अष्टक और 48 अध्याय ही उपलब्ध मिलते हैं। अध्याय 9 से 24 तक तथा 32, 33 और 43 अध्याय आंशिक रूप से प्राप्त होते हैं ।

 

 कृष्ण यजुर्वेद का वाङ्ग्मय-

 

# ब्राह्मण- तैत्तिरीय, मैत्रायणी, कठ, कपिष्ठल ।

# आरण्यक- तैत्तिरीय, मैत्रायणीय ।

# उपनिषद्- तैत्तिरीयोपनिषद्, मैत्रायणी-उपनिषद्, कठोपनिषद्, श्वेताश्वतरोपनिषद् ।


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धन्यवाद ।

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