ब्राह्मण ग्रन्थों की सम्पूर्ण जानकारी
Complete information about Brahmana Granths
वैदिक वाङ्मय के चार भाग हैं- 1. संहिता 2. ब्राह्मण 3.
आरण्यक 4. उपनिषद् ।
संहिता के बाद ब्राह्मण ग्रन्थों का क्रम आता है । ब्राह्मण ग्रन्थों में वैदिक यज्ञों का प्रतिपादन व यज्ञों की विधियों की व्याख्या करना है । इस पोस्ट में ब्राह्मण ग्रन्थों की जानकारी (Brahmana grantho ki jankari) प्रदान की जा रही है । क्रम से ऋग्वेद के ब्राह्मण (rigveda ke Brahmana) यजुर्वेद के ब्राह्मण (Yajurveda ke Brahmana) सामवेद के ब्राह्मण (Samveda ke brahmana) और अथर्ववेद के ब्राह्मणों (Atharvaveda ke Brahmana) के बारे में समझाया गया है । आइये जानकारी प्राप्त करते हैं-
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Brahmana granths |
What are Brahman Granths ?
# ब्राह्मण ग्रन्थों का प्रधान विषय यज्ञों का प्रतिपादन और यज्ञों
की विधियों की व्याख्या करना है- 'ब्राह्मण
नाम कर्मणस्तन्मंत्राणां व्याख्यान ग्रन्थ: ।'
# ब्राह्मण ग्रन्थों का प्रधान विषय है 'विधि', अर्थात् यह निर्देश करना कि यज्ञों का विधान कब और कैसे किया जाए । उनमें किन उपकरणों की अपेक्षा होती
है, उन यज्ञों के अधिकारी कौन होते हैं ? आदि ।
# संहिता के बाद ब्राह्मण ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है ।
# ब्राह्मण ग्रन्थों में मन्त्रों, कर्मों, व विनियोगों की व्यवस्था
है ।
# संहिताएँ गद्य-पद्य दोनों में हैं, जबकि ब्राह्मण गद्य में ही लिखित हैं ।
# वेद और ब्राह्मण एक दूसरे के पूरक हैं, जो मन्त्र संहिताओं में दिए
गए हैं, ब्राह्मण ग्रन्थ उनकी व्याख्या करते हैं ।
#
ऋग्वेद के ब्राह्मण- Brahmans of the Rigveda
# वर्तमान में ऋग्वेद के कुल 2 ब्राह्मण प्राप्त होते हैं-
1. ऐतरेय ब्राह्मण 2. कौषीतकि ब्राह्मण ।
1. ऐतरेय ब्राह्मण-
# इसके रचयिता व संकलन कर्ता ऐतरेय महीदास हैं ।
# इस ग्रन्थ की भौगोलिक जानकारी के अनुसार इसकी रचना कुरूप चाल में
हुई ।
# ऐतरेय ब्राह्मण में मुख्य रूप से सोमयाग, अग्निष्टोम तथा राजसूय सत्र
हैं ।
# 1
से 16 अध्याय तक 1 दिन में होने वाले अग्निष्टोम
नामक सोमयाग का वर्णन है।
# 17वें
व 18वें अध्याय में 360 दिन में होने वाले गवामयन
नामक सोमयाग का वर्णन है।
# 19
से 24 अध्याय तक 12 दिन में सम्पन्न होने वाले 'द्वादशाह'
नामक सोमयाग का वर्णन है ।
# 25
वें अध्याय में अपराध के प्रायश्चित सम्बन्धी उत्सव व ऋत्विक् के कर्तव्यों
का वर्णन है ।
# 26
से 30 अध्याय तक छोटे-2 कुल पुरोहितों का वर्णन है ।
# 31 से 40 अध्याय तक राज्याभिषेक
तथा राजपुरोहित की स्थिति तथा उनके अधिकारों का वर्णन है ।
# 33
वें अध्याय में शुन: शेप का आख्यान बहुत प्रसिद्ध है ।
# ऐतरेय ब्राह्मण में स्त्रियों को भी समान अधिकार दिए गए हैं, उन्हें
पुरुष का मित्र बताया गया है- "सखा हि जाया।"
2. कौषीतकि ब्राह्मण-
# इसे शांखायन ब्राह्मण भी कहते हैं । इसमें कुल 30 अध्याय हैं ।
# इसके प्रथम 6 अध्यायों में
अग्निचयन, अग्न्याधान, दर्श व पौर्णमास आदि हव्य यज्ञों का प्रतिपादन है ।
# 7वें से 30वें अध्याय तक प्रायः ऐतरेय ब्राह्मण के ही अनुसार सोमयाग
हैं ।
यजुर्वेद के ब्राह्मण- Brahmans of Yajurveda
शुक्ल यजुर्वेद के ब्राह्मण-
Brahmans of ShuklaYajurveda-
1. शतपथ ब्राह्मण-
# माध्यन्दिन शाखा के लिए इस ब्राह्मण में 100 अध्याय हैं, जो 18 काण्डों
में विभक्त है ।
#
कृष्ण यजुर्वेद के ब्राह्मण-
Brahmans
of KrishnaYajurveda-
तैत्तिरीय ब्राह्मण-
# कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण 'तैत्तिरीय ब्राह्मण' है । इसमें 3 काण्ड
हैं ।
# इस ब्राह्मण में तैत्तिरीय संहिता में दिए गए यज्ञों के प्रयोग की
विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन है ।
# इस ब्राह्मण में अग्न्याधान, वाजपेय, सोम, राजसूय सौत्रामणि, पुरुषमेध
आदि यज्ञों का वर्णन है ।
सामवेद के ब्राह्मण-
Brahmans of Samaveda
1. पंचविंश ब्राह्मण (ताण्ड्य ब्राह्मण)-
# इसमें कुल 25 अध्याय हैं, इसलिए इसे पंचविंश ब्राह्मण कहा जाता है
। विशालकाय होने के कारण इसे महा ब्राह्मण या प्रौढ़ ब्राह्मण भी कहते हैं ।
# इसमें
1 दिन से लेकर सहस्र वर्ष तक चलने वाले यज्ञों का वर्णन है ।
# पंचविंश ब्राह्मण का विषय साम गान व सोम यागों का विशिष्ट रूप से प्रतिपादन
करना है ।
# 17 वें अध्याय में व्रात्यों
को आर्यों का समकक्ष स्थान देने के लिए व्रात्य यज्ञ
का वर्णन है ।
# इसमें सामवेद
के ऋत्विक् 'उद्गाता' के क्रियाकलापों का विस्तार से वर्णन
है ।
2.
षड्विंश ब्राह्मण-
# इसमें कुल 6 अध्याय हैं। इसमें अनुष्ठानों और क्रियाओं का विवेचन
है ।
3. सामविधान ब्राह्मण-
# यह ब्राह्मण प्रायः वर्ण्यवस्तु का अतिक्रमण करता है ।
# इसमें यज्ञ कर्मकाण्डों के स्थान पर जादू-टोना, शत्रु उच्चाटन और
उपद्रवों को शान्त करने के विषयों का प्रतिपादन है ।
4. आर्षेय ब्राह्मण-
# सामगान के वैज्ञानिक अनुशीलन के लिए यह ग्रन्थ अत्यन्त उपादेय है
।
# इसमें साम मन्त्रों के ऋषियों के नाम भी हैं।
5. देवताध्याय ब्राह्मण (दैवत ब्राह्मण)-
# इसमें छन्दों का विशिष्ट रूप से प्रतिपादन किया गया है ।
# प्रथम खण्ड में साम देवताओं, द्वितीय में छंद के देवताओं व तृतीय
में छंद की निरुक्तियाँ ही इस ग्रन्थ में प्रतिपादित की गई हैं ।
6. उपनिषद् ब्राह्मण-
# मन्त्र ब्राह्मण में दो प्रपाठक हैं, प्रत्येक प्रपाठक में 8-8 खण्ड हैं ।
# छान्दोग्योपनिषद् में 8 प्रपाठक हैं ।
# मन्त्र ब्राह्मण का विषय गृह्य सूत्रों में प्रयुक्त मन्त्रों को
संकलित करना है।
# इसमें
गर्भाधान, पुंसवन, विवाह आदि संस्कारों से सम्बन्धित मन्त्र तथा भूतबलि, आग्रहायणी
कर्म, पिण्ड दान, होम, दर्श-पौर्णमास आदि अनुष्ठानों
से सम्बन्धित मन्त्रों का विधान बताया गया है।
7. संहितोपनिषद् ब्राह्मण-
# इसमें साम मन्त्रों के गूढ़ रहस्यों का प्रतिपादन है।
# इसमें गान संहिता की विधि, स्तोम, अनुलोम, प्रतिलोम व अन्य प्रकार
के स्वरों का विशद विवेचन किया गया है ।
8. वंश ब्राह्मण-
# यह 3
खण्डों में विभक्त है ।
# इसमें
सामवेदीय ऋषियों की वंश परम्परा का विवरण है।
# इस ब्राह्मण में उस समय के समाज व ऋषियों के बारे में पर्याप्त जानकारी
है ।
9. जैमिनीय ब्राह्मण-
# विषय-वस्तु की दृष्टि से यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है ।
# इसमें यज्ञों के रहस्यों की जानकारी प्रदान की गई है।
अथर्ववेद के ब्राह्मण-
Brahmans of the Atharvaveda
1. गोपथब्राह्मण-
# इसके दो भाग हैं- 1.
पूर्वगोपथ 2. उत्तरगोपथ ।
# पूर्वगोपथ में 5 प्रपाठक व उत्तरगोपथ में 6 प्रपाठक हैं ।
# प्रपाठकों में कंडिकाएँ हैं, कुल 258 कंडिकाएँ हैं ।
# पूर्वगोपथ
के प्रथम प्रपाठक में ॐकार और गायत्री की विशेष महिमा
का वर्णन है।
# द्वितीय प्रपाठक में ब्रह्मचारी के नियमों का वर्णन है ।
# तृतीय प्रपाठक में चारों ऋत्विजों के कार्यों का वर्णन है ।
# चतुर्थ प्रपाठक में ऋत्विजों की दीक्षा का वर्णन है ।
# पंचम प्रपाठक में पहले संवत्सरों का वर्णन है, बाद में अश्वमेध, पुरुषमेध,
अग्निष्टोम आदि यज्ञों का वर्णन है ।
# द्वितीय
भाग उत्तर गोपथ में नाना यज्ञों तथा तत्सम्बद्ध आख्यायिकाओं
का वर्णन है ।
धन्यवाद ।
1 Comments
Very Good Information.super.
ReplyDeleteसाथियों ! यह पोस्ट अपको कैसे लगी, कमेंट करके अवश्य बताएँ, यदि आप किसी टोपिक पर जानकारी चाहते हैं तो वह भी बता सकते हैं ।