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Hindi Visheshan or Visheshya । हिन्दी विशेषण और विशेष्य । । विशेषण के भेद । Visheshan ke bhed

विशेषण और विशेष्य

visheshan or visheshya
visheshan or visheshya








अधोलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें-

    हरे पेड़ों पर फल लगे हैं । चार  पेड़ों पर दस किलो फल हैं । वे फल मीठे हैं ।
   हरे पेड़ों पर फल लगे हैं । चार पेड़ों पर दस किलो फल हैं । वे फल मीठे हैं ।

            ऊपर लिखे वाक्यों में 'हरे, चार, दस किलो, वे और मीठे' ये शब्द कुछ विशेषता बता रहे हैं । पहले वाक्य में पेड़ों की विशेषता हरे रंग से बताई गई है, दूसरे वाक्य में पेड़ों की संख्या बताई गई है और फलों की की नाप-तौल भी बताई गई है कि दस किलो फल हैं, तीसरे वाक्य में फल से पूर्व ‘वे’ सर्वनाम का प्रयोग हुआ है ।

अब प्रश्न यह है कि जो शब्द विशेषता बताते हैं, उन्हे क्या कहते हैं ? जिसकी विशेषता बताई जाती है उसे क्या कहते हैं ?  

इन प्रश्नों का उत्तर हमारी इस पोस्ट में है ।

पोस्ट का मुख्य विषय- विशेषण और विशेष्य

विशेषण- 

       संज्ञा व सर्वनाम शब्द की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं । जैसे-
1. ऊंचा पेड़ है             2. लम्बा आदमी है  
3. गोरी लड़की है ।        4. काला कौआ है ।
     इन वाक्यों में “ऊँचा, लम्बा, गोरी, काला”  ये शब्द पेड़, आदमी, लड़की और कौआ इन संज्ञा शब्दों की विशेषता बता रहे हैं, अत: “ऊँचा, लम्बा, गोरी, काला”  ये सब विशेषण हैं ।

विशेष्य-  

      जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं । जैसे-
 रमेश सुंदर लड़का है ।
 इस वाक्य में रमेश की विशेषता सुन्दर शब्द से बताई जा रही है, इसलिए रमेश विशेष्य है ।

विशेष- वाक्य में क्रम के अनुसार विशेषण को दो भागों में बाँटा गया है-

(I) उद्देश्य विशेषण- 

    विशेषण का प्रयोग जब विशेष्य के पहले हो, उसे उद्देश्य विशेषण कहते हैं । जैसे-

(क) काली गाय दूध देती है ।
(ख) मेहनती आदमी कभी भूखा नहीं मरता है ।
    इन उदाहरणों में पहले वाक्य में ‘गाय’ विशेष्य है और ‘काली’ विशेषण । गाय से पूर्व काली विशेषण का प्रयोग हुआ है अत: यह सामान्य विशेषण है । इसी प्रकार दूसरे वाक्य में आदमी विशेष्य से पूर्व मेहनती विशेषण आया है, अत: यह सामान्य विशेषण है ।

(II) विधेय विशेषण- 

    जिस विशेषण का प्रयोग विशेष्य के बाद हो, वह विधेय विशेषण कहलाता है । जैसे-

(क) गाय  काली है ।
(ख) रमेश  मेहनती है ।
     इन वाक्यों में विशेष्य (गाय, रमेश) पहले आए हैं और उसके बाद विशेषण (काली, मेहनती) आए हैं, अत: ये विधेय विशेषण हैं ।

विशेषण के प्रकार-

विशेषण के चार प्रकार के होते हैं-

1. गुणवाचक विशेषण 

2. संख्यावाचक विशेषण

3. परिमाणवाचक विशेषण

4. सार्वनामिक विशेषण ।

visheshan ke bhed विशेषण के भेद
visheshan ke bhed






1. गुणवाचक विशेषण-

            जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण का बोध होता है, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं । गुण का तात्पर्य सिर्फ अच्छी विशेषताओं से नहीं है, अपितु यहाँ गुण का तात्पर्य है किसी भी वस्तु या व्यक्ति की विशेष स्थिति, विशेष दया, विशेष दिशा, रंग, गंध, काल, स्थान, आकार ,रूप, स्वाद, बुराई, अच्छाई, आदि  । अत: जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की उपर्युक्त विशेषताओं का बोध कराए, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-

(क) रमेश अच्छा लड़का है ।  (गुण)
(ख) आम पीला है ।  (रंग)
(ग) बिस्किट मीठा है । (स्वाद)
(घ) मन्दिर ऊँचा है ।  (आकार)

    इन वाक्यों में ‘रमेश’ का विशेषण ‘अच्छा’, ‘आम’ का विशेषण ‘पीला’, ‘बिस्किट’ का विशेषण ‘मीठा’ और ‘मन्दिर’ का विशेषण ‘ऊँचा’ है ।

गुणवाचक विशेषण कुछ प्रचलित विशेषण निम्नलिखित हैं-

गुण-दोष-  सच्चा, झूठा, दानी, दयालु, क्रूर, अच्छा, बुरा, सरल, परिश्रमी, ईमानदार, बेईमान आदि ।
रंग- सुनहरा, चमकीला, गुलाबी, काला, पीला, हरा, नीला, लाल आदि ।
आकार- छोटा, बड़ा, गोल, ऊंचा, लंबा, चौड़ा, चौकोर, आदि ।
स्वाद- खट्टा, मीठा, नमकीन, कड़वा, कसैला, तिक्त आदि ।
कालबोधक- प्राचीन, नवीन, पुराना, नया, क्षणभंगुर, क्षणिक, दीर्घकालिक आदि ।
स्थान बोधक- चीनी, जापानी, मद्रासी, पहाड़ी, बिहारी, पंजाबी आदि ।
गंद बोधक- खुशबूदार, सुगंधित, बदबूदार, आदि ।
दिशा बोधक- पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी आदि ।
अवस्था बोधक- गीला, सूखा, जला, भूना, पका आदि ।
दशा बोधक- अस्वस्थ, रोगी, भला, चंगा, स्वस्थ्य, दु:खी आदि ।
स्पर्श बोधक- कठोर कोमल मखमली आदि |

2. संख्यावाचक विशेषण-

      जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या सम्बन्धी विशेषता का बोध कराते हैं, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं ।

संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-

(I). निश्चित संख्या वाचक- 

     जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या सम्बन्धी विशेषता का बोध कराते हैं, उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं । जैसे- दो, चौथा, दर्जन, पहला, चौगुना आदि । वाक्यों में प्रयोग-

(क) कक्षा में चालीस छात्र हैं ।
(ख) पार्क में बीस पेड़ हैं ।
(ग) मेरे पास दस रुपये हैं  
    ऊपर के उदाहरणों में ‘चालीस, बीस, दस’ ये निश्चित संख्यावाचक विशेषण हैं ।

(II). अनिश्चित संख्या वाचक-  

     जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की अनिश्चित संख्या सम्बन्धी विशेषता का बोध कराते हैं, उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं । जैसे- कुछ, थोड़े. सब, बहुत आदि । वाक्यों में प्रयोग-

(क) कक्षा में कुछ छात्र हैं ।
(ख) पार्क में बहुत पेड़ हैं ।
(ग) मेरे पास थोड़े रुपये हैं  
   ऊपर के उदाहरणों में ‘कुछ, बहुत, थोड़े’ ये अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण हैं ।
  

# निश्चित संख्यावाचक विशेषण- 

निश्चित संख्यावाचक भी कई प्रकार के होते हैं-

 (I). गणना वाचक- 

     यह अपने विशेष्य की साधारण संख्या या गिनती बताता है । इसके भी दो उपभेद हैं (1) पूर्णांक बोधक - पूर्ण संख्या वाचक इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता है। जैसे- दस छात्र, सात लड़कियाँ, बीस पेन आदि । (2) अपूर्णांक बोधक या अपूर्ण संख्यावाचक- इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग होता है । जैसे- सवा रुपए  आदि ।

 (II). क्रम वाचक- 

    यह विशेष्य के क्रम को बतलाता है । इसका प्रयोग सदा एकवचन में होता है । जैसे- पहली कक्षा, दूसरा छात्र, तीसरा आदमी, चौथी मंजिल आदि ।

(III). आवृत्ति वाचक- 

   यह विशेष्य किसी इकाई की आवृत्ति की संख्या बताता है । जैसे- दुगुने छात्र, ढाई गुना मुनाफ़ा आदि ।

(IV). संग्रह वाचक- 
    यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बताता है | जैसे चारों छात्र, आठों पुस्तकें आदि ।

(V). समुदाय वाचक- 

    यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है | जैसे- एक जोड़ी चप्पल, दो जोड़ी जुराफ आदि ।

(VI). वीप्सा वाचक- 

    वीप्सा का अर्थ है एक शब्द का दो बार प्रयोग । व्यापकता का बोध कराने वाली संख्या को वीप्सा वाचक विशेषण कहते हैं । यह दो प्रकार से बनती है- संख्या के पूर्व प्रति, हर, प्रत्येक इनमें से किसी का भी प्रयोग हो या संख्या के द्वित्व से । जैसे-
1. प्रत्येक तीन घंटों पर यहाँ से एक गाड़ी खुलती है ।
2. पांच-पांच छात्रों के लिए एक कमरा है ।


3. परिमाणवाचक विशेषण-  

       परिमाण का सामान्य अर्थ है नाप-तौल । जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की नाप-तौल सम्बन्धी विशेषता को प्रकट करे, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे- दो मीटर कपड़ा, चार लीटर दूध ।

परिमाणवाचक विशेषण के दो प्रकार होते हैं-

1. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-  
2. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

(I). निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-  

    जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध काराते हैं, . निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-

(क) डब्बे में पाँच किलो चावल हैं ।
(ख) सात किलोमीटर रास्ता है ।
(ग) मेरे पास चार तोला सोना है ।
(घ) दर्जी के पास तीन मीटर कपड़ा है ।

    इन वाक्यों में निश्चित परिमाण का बोध हो रहा है, अत: यहाँ पर निश्चित परिमाणवाचक विशेषण है ।

(II). अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण-  

    जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध नहीं कराते, अपितु अनिश्चित परिमाण का बोध काराते हैं, अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-

(क) दुकान पर ढेर सारा चावल है ।
(ख) गोदाम में कई किलो आटा है ।
(ग) पतीले में थोडा़ सा दूध है ।
(घ) चम्मच में जरा सा नमक है ।
    इन वाक्यों में अनिश्चित परिमाण का बोध हो रहा है, अत: यहाँ पर अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण है ।

 4. सार्वनामिक विशेषण- 

    जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, वे सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं । जैसे-

(क) वह खंभा गिर गया ।
(ख) यह बालक पढाई में निपुण है ।
(ग) उस लड़की को बुलाकर लाओ 

     यहाँ पर संज्ञा शब्दों के साथ सर्वनाम शब्द ‘वह, यह, उस’ का प्रयोग हुआ है, अत: ‘वह, यह, उस’ ये सार्वनामिक विशेषण हैं ।

तुलना के आधार पर विशेषण अवस्थाएँ-

      तुलना के आधार पर तीन विशेषण की अवस्थाएँ मानी जाती हैं-1. मूल अवस्था (मूलावस्था)2.उत्तर अवस्था (उत्तरावस्था)3. उत्तम अवस्था  (उत्तमावस्था)


1 मूल अवस्था- 

    इसमें किसी प्रकार की तुलना नहीं होती केवल विशेषण का सामान्य कथन होता है । जैसे-
(क) अर्जुन होनहार लड़का है ।
(ख) काली गाय चर रही है ।
(ग) रामकोर चरित्रहीन युवती है ।

2. उत्तर अवस्था- 

    इसमें दो व्यक्तियों या पदार्थों की तुलना करके एक दूसरे से अधिक या न्यून बताया जाता है | जैसे-

(क) अर्जुन राजीव से अच्छा है ।
(ख) वह तुम्हारी अपेक्षा ईमानदार है ।
(ग) आकार में रामायण से महाभारत वृहत्तर ग्रंथ है ।

3. उत्तम अवस्था- 

    इसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों की तुलना की जाती है तथा एक को सबसे बढ़कर या सबसे कम बताया जाता है । स्वाभाविक रूप से इसमें सबसे बढ़कर, सर्वाधिक, सबसे, सभी में, आदि शब्द प्रयुक्त होते हैं । जैसे-
(क) अरुण सब छात्रों में अच्छा है ।
(ख) माला सबसे चतुर लड़की है ।
(ग) रामायण के पात्रों में श्रीराम का चरित्र श्रेष्ठतम है ।

विशेषण शब्दों के रूपांतर- 

    रूपान्तर का अर्थ है रूप बदलना । विशेषण शब्दों के रूपांतर कुछ नियमों के कारण होते हैं, जिनमें - लिंग, वचन और कारक प्रमुख हैं । कुछ अकारांत विशेषण में लिंग तथा वचन संबंधी परिवर्तन विशेष्य के अनुसार होता है । जैसे-

(क) काला कौवा, काली गाय, काले घोड़े ।
(ख) छोटा बच्चा, छोटी बच्ची, छोटे बच्चे ।
(ग) काला कपड़ा, मैली चादर, मैले बर्तन ।

विशेषणों की रचना- 

    विशेषण पदों की रचना प्राय: सभी प्रकार के शब्दों से होती है । शब्दों के अंत में ई, इक, मान्, वान्, हार, वाला, आ, ईय, शाली, हीन, युक्त, ईला आदि प्रत्यय लगाने से विशेषण बनते हैं । जैसे-

ई प्रत्यय से- शहर-शहरी, भीतर-भीतरी विरोध-विरोधी ।
ईन/ईण प्रत्यय- ग्राम-ग्रामीण, कुल-कुलीन,
इक प्रत्यय- वाच-वाचिक, शरीर-शारीरिक मान-मानसिक, अंतर-आंतरिक ।
मान् प्रत्यय- श्री-श्रीमान, बुद्धि-बुद्धिमान शक्ति-शक्तिमान ।
वान् प्रत्यय- ज्ञान-ज्ञानवान, धन-धनवान, रूप-रूपवान, बल-बलवान
हार प्रत्यय- सृजन-सृजनहार, पालन-पालनहार ।
वाला प्रत्यय- सफाई-सफाईवाला, रथ-रथवाला, दूध-दूधवाला ।
आ प्रत्यय- भूख-भूखा, प्यास-प्यासा ।
ईय प्रत्यय- भारत-भारतीय, स्वर्ग-स्वर्गीय।
ईला प्रत्यय- चमक-चमकीला नोंक-नुकीला ।
हीन प्रत्यय- बुद्धि-बुद्धिहीन, धन-धनहीन, तेज-तेजहीन दया-दयाहीन ।

संख्यावाचक  व परिमाण वाचक विशेषण में अन्तर-

    संख्यावाचक विशेषण में संज्ञा या सर्वनाम के साथ निश्चित या अनिश्चित संख्या का प्रयोग होता है, जबकि परिमाण वाचक विशेषण में संख्या का प्रयोग नाप-तौल की प्रणाली के साथ होता है । जैसे- दुकान पर दस बोतलें हैं, दस बोतलों में बीस लीटर तेल है । इन उदाहरणों में बोतल पहला विशेष्य है और बोतल का विशेषण दस है, जो कि संख्यावाचक विशेषण है ।दूसरा विशेष्य तेल है, तेल के लिए नाप-तौल की प्रणाली बीस लीटर का प्रायोग हुआ है, अत: यह परिमाण वाचक विशेषण है ।
            जब कोई संख्या नाप-तौल के साथ आए तो वह परिमाण वाचक विशेषण बन जाती है और जब बिना नाप-तौल के आए तो वह संख्यावाचक विशेषण बन जाती है ।

सर्वनाम व सर्वनामिक विशेषण में अन्तर-

     संज्ञा के स्थान पर जब सर्वनाम का प्रयोग होता है, तब वह सर्वनाम वाली अवस्था ही कहलाएगा । जैसे- रमेश घर जाता है । वह घर जाकर पुस्तक पढता है । इन वाक्यों में रमेश संज्ञा है । दूसरे वाक्य में रमेश के स्थान पर वह का प्रयोग हुआ है अत: ‘वह’ सर्वनाम है ।
    संज्ञा के साथ जब सर्वनाम का प्रयोग हो तब वह सार्वनामिक विशेषण बन जात है । जैसे- वह छात्र घर जाकर पुस्तक पढता है । इस वाक्य में छात्र संज्ञा है और संज्ञा के साथ वह सर्वनाम भी आया है, अत: यहाँ पर ‘वह’ सार्वनामिक विशेषण है ।

धन्यवाद ।

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