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सर्वनाम- शब्दरुप प्रकरण । Sarvanam Shabd Roop, सर्वनाम शब्दों का परिचय । सर्वनाम शब्द रूप अस्मद्, युष्मद्, तद्, एतत् आदि ।

सर्वनाम- शब्दरुप प्रकरण

शब्दरूप वाले शब्दों में संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्द आते हैं । पिछली पोस्ट में संज्ञा शब्दरूपों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है ।
    
Sarvanam shabd roop सर्वनाम शब्दरूप परिचय
     Sarvanam shabd roop








       यदि आपने संज्ञा शब्दरूप वाली पोस्ट नहीं पढी है तो आप इस लिंक पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं-

संज्ञा शब्दरुप प्रकरण की सम्पूर्ण जानकारी

 इस पोस्ट में सर्वनाम शब्दरूपों के बारे में विस्तार से चर्चा की जा रही है । सर्वप्रथम सर्वानाम की परिभाषा जानते हैं-


सर्वनाम किसे कहते हैं  ?

             संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन्हें सर्वनाम कहते हैं । सर्वनाम शब्द का सामान्य अर्थ है- “सबका नाम” । अर्थात् जो शब्द सबके नामों के स्थान पर प्रयोग होते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं ।

संज्ञा किसे कहते हैं ?

            संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है । विकारी का अर्थ है जिस शब्द में विकार हो, विकार अर्थात् परिवर्तन । जैसे- वृक्ष: एक शब्द है, इस श्ब्द में जो परिवर्तन होता है वह इसके रूप बदलने से होता है । रूप विभक्ति और वचनों में बदलते हैं ।  अब प्रश्न यह है कि अविकारी शब्द किसे कहते हैं ? अविकारी को संस्कृत में अव्यय शब्द भी कहते हैं, अर्थात् जो शब्द किसी भी परिस्थिति में बदलते नहीं हैं । जैसे- च, अपि, अत्र, तत्र आदि ।

सर्वनामों का प्रयोग क्यों किया जाए ?


            नीचे लिखे दोनों उदाहरणों को ध्यानपूर्वक देखें और स्वयं निर्णय करें कि कौन सा उदाहरण भाषा की सुन्दरता की दृष्टि से सुन्दर लग रहा है-

उदाहरण संख्या 1- 

    “रमेश: दशमी-कक्षाया: छात्र: अस्त्ति । रमेश: प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छति । रमेश: विद्यालये परिश्रमेण अध्ययनं करोति । रमेश: पूर्वकक्षायां प्रथमं स्थानं प्राप्तवान् । रमेशस्य पिता रमेशाय प्रथमस्थानं प्राप्तुं  द्विचक्रिकायानम् अददत् ।”

 

उदाहरण संख्या 2- 

    “रमेश: दशमी कक्षाया: छात्र: अस्त्ति । स: प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छति । स: विद्यालये परिश्रमेण अध्ययनं करोति । स: पूर्वकक्षायां प्रथमं स्थानं प्राप्तवान् । तस्य पिता तस्मै प्रथमस्थानं प्राप्तुं  द्विचक्रिकायानं अददत् ।”

       आप सभी को और मुझे उदाहरण संख्या 2 ही सुन्दर लगेगी, क्योंकि इसमें रमेश शब्द का बार-बार प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि रमेश की जगह “स:, तस्य, तस्मै” सर्वनामों का प्रयोग हुआ है ।

       सर्वनामों के प्रयोग से भाषा सहज, सुन्दर व सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है । भाषा पुनरावृत शब्दों के प्रयोग से भी बची रहती है । संज्ञा शब्दों के बार-बार प्रयोग से भाषा का सौन्दर्य विलीन हो जाता है ।  अत: भाषा की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए सर्वनामों का प्रयोग अत्यन्त आवश्यक है ।


शब्द रूप के प्रकार-

            शब्दरूप मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- 1. अजन्त शब्दरूप  2. हलन्त शब्दरूप ।

1. अजन्त शब्दरूप-

         अजन्त शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- अच्+अन्त । अच् का अर्थ है स्वर और अन्त का अर्थ है अन्तिम में, अर्थात् जिस शब्द के अन्त में स्वर हो उसे अजन्त कहते हैं, जैसे- ‘बालक’ शब्द । बालक शब्द को यदि हम अलग-अलग करके लिखेंगे तो ‘ब्+आ+ल्+अ+क्+अ’ इस प्रकार से लिखा जाएगा । बालक शब्द के अन्त में ‘अ’ है, क्योंकि ‘’ एक स्वर है तो बालक शब्द अजन्त शब्द कहलाएगा और जो बालक शब्द के रुप चलेंगे वे अजन्त शब्दरुप कहलाएँगे । अजन्त शब्दरूपों को ‘स्वरान्त शब्दरूप’ भी कहते हैं, अर्थात् जिनके अन्त में स्वर हों ।

2. हलन्त शब्दरूप-

        हलन्त शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना है- हल्+अन्त । हल् का अर्थ है व्यंजन और अन्त का अर्थ है अन्तिम में, अर्थात् जिस् शब्द के अन्त में व्यंजन हो उसे हलन्त कहते हैं । इनको व्यंजनान्त भी कहते हैं, अर्थात् जिनके अन्त में व्यंजन हों । जैसे- राजन् , राजन् शब्द को यदि हम अलग करके लिखेंगे तो- र्+आ+ज्+अ+न्’राजन् शब्द के अन्त में ‘न्’ व्यंजन अक्षर है, अत: यह हलन्त शब्द या व्यंजनान्त शब्द कहलाएगा ।

लिंग की दृष्टि से शब्दरूप के भेद-        

        लिंग की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के होते हैं- 1. पुल्लिंग  2. स्त्रीलिंग  3. नपुंसकलिंग । संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण इन तीनों के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं । संस्कृत में लिंग ज्ञान शब्दकोष की सहायता से अथवा साहित्य पढने से ही होता है, शब्द के अर्थ से लिंग ज्ञान होना कठिन है, जैसे तट:, तटी, तटम्  इन तीनों शब्दों का अर्थ एक ही है ‘किनारा’, किन्तु तट: शब्द पुल्लिंग का है, तटी शब्द स्त्रीलिंग का है और तटम् शब्द नपुंसकलिंग का है । अत: शब्दरूपों के लिंग ज्ञान को सावधानी पूर्वक जानना चाहिए । एक बार तीनों लिंगों के बारे में जान लेते हैं-


1. पुल्लिंग शब्दरूप-

       पुल्लिंग शब्द सामान्यत: पुरुष जाति का बोध कराते हैं, जैसे- राम:, बालक:, हरि:, गुरु: आदि |

2. स्त्रीलिंग शब्दरूप-

        स्त्रीलिंग शब्द सामान्यत: स्त्री जाति का बोध कराते हैं, जैसे- रमा, लता, सीता, नदी, वधू आदि ।


3. नपुंसकलिंग शब्दरूप-

      नपुंसकलिंग शब्द सामान्यत: नपुंसक जाति का बोध कराते हैं , जैसे- फलम्, वस्त्रम्, पुस्तकम्, गृहम् आदि ।


सर्वनाम के भेद-

       संस्कृत सर्वनाम के मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं । जो निम्न हैं ।

1. पुरुष पुरुषवाचक सर्वनाम             2. प्रश्नवाचक सर्वनाम

      

1. पुरुष वाचक सर्वनाम-

       वाक्य को बोलने वाला, सुनने वाला और कोई अन्य, इनको पुरुष कहते हैं । संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं-

(I). प्रथम पुरुष       (II). मध्यम पुरुष   (III). उत्तम पुरुष   

 

(I). प्रथम पुरुष-

       किसी भी बात को बोलने वाला जिन सर्वनामों का प्रयोग किसी अन्य के लिए करता है, अर्थात् न खुद के लिए करता है और न ही सुनने वाले के लिए करता है, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं । प्रथम पुरुष में ‘तत्, एतत्, इदम्, अदस्, यत्, सर्व, भवान्’ ये सर्वनाम शब्द आते हैं, जिसके रूप तीनों लिंगो के लिए अलग-अलग चलते हैं । जैसे- पुल्लिंग- स:, तौ, ते । स्त्रीलिंग- सा, ते, ता: । नपुंसकलिंग- तत्, ते, तानि ।

 (II). मध्यम पुरुष-

       बोलने वाला जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले वाले के लिए करता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं । मध्यम पुरुष में सिर्फ ‘‘युष्मद्” सर्वनाम शब्द का ही प्रयोग होता है और तीनों लिंगो के लिए समान रूप चलते हैं । जैसे- त्वम्, युवाम्, यूयम् । 

(III). उत्तम पुरुष-

       बोलने वाला जिन सर्वनामों का प्रयोग अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं ।  उत्तम पुरुष में सिर्फ “अस्मद्” सर्वनाम शब्द का ही प्रयोग होता है और तीनों लिंगो के लिए समान रूप चलते हैं । जैसे- अहम्, आवाम्, वयम् ।

 

2. प्रश्नवाचक सर्वनाम-

       प्रश्न पूछने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं । प्रश्नवाचक सर्वनाम में “किम्” शब्दरुप आते हैं‘ । “किम्” शब्दरूप का प्रयोग तीनों लिंगों के लिए अलग-अलग होता है ।  जैसे- पुल्लिंग- क:, कौ, के । स्त्रीलिंग- का, के, का: । नपुंसकलिंग- किम्, के, कानि ।


अब कुछ प्रमुख सर्वनाम शब्दरुपों को समझते हैं-


1. अस्मद् शब्दः- दकारान्तः               

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

अहम्

आवाम्

वयम्

द्वितीया

माम्, मा

आवाम्, नौ

अस्मान्, नः

तृतीया

मया

आवाभ्याम्

अस्माभिः

चतुर्थी

मह्यम्, मे

आवाभ्याम्, नौ

अस्मभ्यम्, न:

पञ्चमी

मत्

आवाभ्याम्

अस्मत्

षष्ठी

मम, मे

आवयोः, नौ

अस्माकम्, न:

सप्तमी

मयि

आवयोः

अस्मासु

सम्बोधन

-

-

-

# अस्मद् शब्द तीनों लिंगों के लिए एक समान प्रयुक्त होता है ।

2. युष्मद् शब्दः- दकारान्त          

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

त्वम्

युवाम्

यूयम्

द्वितीया

त्वाम्, त्वा

युवाम्, वाम्

युष्मान्, वः

तृतीया

त्वया

युवाभ्याम्

युष्माभिः

चतुर्थी

तुभ्यम्, ते

युवाभ्याम्

युष्मभ्यम्, व:

पञ्चमी

त्वत्

युवाभ्याम्

युष्मत्

षष्ठी

तव, ते

युवयोः, वाम्

युष्माकम्, व:

सप्तमी

त्वयि

युवयोः

युष्मासु

सम्बोधन

-

-

-

# युष्मद् शब्द तीनों लिंगों के लिए एक समान प्रयुक्त होता है ।

 

3. तद् शब्द- दकारान्त पुल्लिङ्गः

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

सः

तौ

ते

द्वितीया

तम्

तौ

तान्

तृतीया

तेन

ताभ्याम्

तैः

चतुर्थी

तस्मै

ताभ्याम्

तेभ्यः

पञ्चमी

तस्मात्

ताभ्याम्

तेभ्यः

षष्ठी

तस्य

तयोः

तेषाम्

सप्तमी

तस्मिन्

तयोः

तेषु

सम्बोधन

-

-

-

 

4. तद् शब्द- दकारान्त स्त्रीलिंग   

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

सा

ते

ता:

द्वितीया

ताम्

ते

ता:

तृतीया

तया

ताभ्याम्

ताभि:

चतुर्थी

तस्यै

ताभ्याम्

ताभ्यः

पञ्चमी

तस्या:

तयोः

ताभ्यः

षष्ठी

तस्याम्

तयोः

तासु

सप्तमी

तस्मिन्

तयोः

तेषु

सम्बोधन

-

-

-

 

5. तद् शब्द- दकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

तत्

ते

तानि

द्वितीया

तत्

ते

तानि

तृतीया

तेन

ताभ्याम्

तैः

चतुर्थी

तस्मै

ताभ्याम्

तेभ्यः

पञ्चमी

तस्मात्

ताभ्याम्

तेभ्यः

षष्ठी

तस्य

तयोः

तेषाम्

सप्तमी

तस्मिन्

तयोः

तेषु

सम्बोधन

-

-

-

 

6. इदम् शब्दः- मकारान्त पुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

अयम्

इमौ

इमे

द्वितीया

इमम्, एनम्

इमौ, एनौ

इमान्

तृतीया

अनेन, एनेन

आभ्याम्

एभि:

चतुर्थी

अस्मै

आभ्याम्

एभ्यः

पञ्चमी

अस्मात्

आभ्याम्

एभ्यः

षष्ठी

अस्य

अनयोः, एनयोः

एषाम्

सप्तमी

अस्मिन्

अनयोः, एनयोः

एषु

सम्बोधन

-

-

-

 

7. इदम् शब्दः- मकारान्त स्त्रीलिङ्गः

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

इयम्

इमे

इमाः

द्वितीया

इमाम्, एनाम्

इमे, एने

इमाः, एनाः

तृतीया

अनया, एनया

आभ्याम्

आभिः

चतुर्थी

अस्यै

आभ्याम्

आभ्यः

पञ्चमी

अस्याः

आभ्याम्

आभ्यः

षष्ठी

अस्याः

अनयोः, एनयोः

आसाम्

सप्तमी

अस्याः

अनयोः, एनयोः

आसु

सम्बोधन

-

-

-

 

8. इदम् शब्दः- मकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

इदम्

इमे

इमानि

द्वितीया

इदम्, एनम्

इमे, एने

इमानि, एनानि

तृतीया

अनेन, एनेन

आभ्याम्

एभिः

चतुर्थी

अस्मै

आभ्याम्

एभ्यः

पञ्चमी

अस्मात्

आभ्याम्

एभ्यः

षष्ठी

अस्य

अनयोः, एनयोः

एषाम्

सप्तमी

अस्मिन्

अनयोः, एनयोः

एषु

सम्बोधन

-

-

-

 

9. एतत् शब्दः- तकारान्त पुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

एषः

एतौ

एते

द्वितीया

एतम्,एनम्

एतौ,एनौ

एतान्,

एनान्

तृतीया

एतेन,एनेन

एताभ्याम्

एतैः

चतुर्थी

एतस्मै

एताभ्याम्

एतेभ्यः

पञ्चमी

एतस्मात्

एताभ्याम्

एतेभ्यः

षष्ठी

एतस्य

एतयोः, एनयो:

एतेषाम्

सप्तमी

एतस्मिन्

एतयोः, एनयो:

एतेषु

सम्बोधन

-

-

-

 

10. एतत् शब्दः- तकारान्त स्त्रीलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

एषा

एते

एताः

द्वितीया

एताम्, एनाम्

एते, एने

एताः, एनाः

तृतीया

एतया, एनया

एताभ्याम्

एताभिः

चतुर्थी

एतस्यै

एताभ्याम्

एताभ्यः

पञ्चमी

एतस्याः

एताभ्याम्

एताभ्यः

षष्ठी

एतस्याः

एतयोः, एनयोः

एतासाम्

सप्तमी

एतस्याम्

एतयोः, एनयोः

एतासु

सम्बोधन

-

-

-

 

11. एतत् शब्दः- तकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

एतत्

एते

एतानि

द्वितीया

एतत्, एनत्

एते, एने

एतानि, एनानि

तृतीया

एतेन, एनेन

एताभ्याम्

एतैः

चतुर्थी

एतस्मै

एताभ्याम्

एतेभ्यः

पञ्चमी

एतस्मात्

एताभ्याम्

एतेभ्यः

षष्ठी

एतस्य

एतयोः, एनयोः

एतेषाम्

सप्तमी

एतस्मिन्

एतयोः, एनयो:

एतेषु

सम्बोधन

-

-

-

 

12. अदस् शब्दः- सकारान्तपुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

असौ

अमू

अमी

द्वितीया

अमुम्

अमू

अमून्

तृतीया

अमुना

अमूभ्याम्

अमीभिः

चतुर्थी

अमुष्यै

अमूभ्याम्

अमीभ्यः

पञ्चमी

अमुष्मात्

अमूभ्याम्

अमीभ्यः

षष्ठी

अमुष्य

अमुयोः

अमीषाम्

सप्तमी

अमुष्मिन्

अमुयोः

अमीषु

सम्बोधन

-

-

-

 

13. अदस् शब्दः- सकारान्त स्त्रीलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

असौ

अमू

अमूः

द्वितीया

अमूम्

अमू

अमूः

तृतीया

अमुया

अमूभ्याम्

अमूभिः

चतुर्थी

अमुष्यै

अमूभ्याम्

अमूभ्यः

पञ्चमी

अमुष्याः

अमूभ्याम्

अमूभ्यः

षष्ठी

अमुष्याः

अमुयोः

अमूषाम्

सप्तमी

अमुष्याम्

अमुयोः

अमूषु

सम्बोधन

-

-

-

 

14. अदस् शब्दः- सकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

अदः

अमू

अमूनि

द्वितीया

अदः

अमू

अमूनि

तृतीया

अमुना

अमूभ्याम्

अमीभिः

चतुर्थी

अमुष्मै

अमूभ्याम्

अमीभ्यः

पञ्चमी

अमुष्मात्

अमूभ्याम्

अमीभ्यः

षष्ठी

अमुष्य

अमुयोः

अमीषाम्

सप्तमी

अमुष्मिन्

अमुयोः

अमीषु

सम्बोधन

-

-

-

 

15. यत् शब्दः- तकारान्त पुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

यः

यौ

ये

द्वितीया

यम्

यौ

यान्

तृतीया

येन

याभ्याम्

यैः

चतुर्थी

यस्मै

याभ्याम्

येभ्यः

पञ्चमी

यस्मात्

याभ्याम्

येभ्यः

षष्ठी

यस्य

ययोः

येषाम्

सप्तमी

यस्मिन्

ययोः

येषु

सम्बोधन

-

-

-

 

16. यत् शब्दः- तकारान्त स्त्रीलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

या

ये

याः

द्वितीया

याम्

ये

याः

तृतीया

यया

याभ्याम्

याभिः

चतुर्थी

यस्यै

याभ्याम्

याभ्यः

पञ्चमी

यस्याः

याभ्याम्

याभ्यः

षष्ठी

यस्याः

ययोः

यासाम्

सप्तमी

यस्याम्

ययोः

यासु

सम्बोधन

-

-

-

 

17. यत् शब्दः- तकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

यत्

ये

यानि

द्वितीया

यत्

ये

यानि

तृतीया

येन

याभ्याम्

यैः

चतुर्थी

यस्मै

याभ्याम्

येभ्यः

पञ्चमी

यस्मात्

याभ्याम्

येभ्यः

षष्ठी

यस्य

ययोः

येषाम्

सप्तमी

यस्मिन्

ययोः

येषु

सम्बोधन

-

-

-

 

18. किम् शब्दः-मकारान्त पुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

कः

कौ

के

द्वितीया

कम्

कौ

कान्

तृतीया

केन

काभ्याम्

कैः

चतुर्थी

कस्मै

काभ्याम्

केभ्यः

पञ्चमी

कस्मात्

काभ्याम्

केभ्यः

षष्ठी

कस्य

कयोः

केषाम्

सप्तमी

कस्मिन्

कयोः

केषु

सम्बोधन

-

-

-

 

19. किम् शब्दः- मकारान्त स्त्रीलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

का

के

काः

द्वितीया

काम्

के

काः

तृतीया

कया

काभ्याम्

काभिः

चतुर्थी

कस्यै

काभ्याम्

काभ्यः

पञ्चमी

कस्याः

काभ्याम्

काभ्यः

षष्ठी

कस्याः

कयोः

कासाम्

सप्तमी

कस्याम्

कयोः

कासु

सम्बोधन

-

-

-

 

20. किम् शब्दः- मकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

किम्

के

कानि

द्वितीया

किम्

के

कानि

तृतीया

केन

काभ्याम्

कैः

चतुर्थी

कस्मै

काभ्याम्

केभ्यः

पञ्चमी

कस्मात्

काभ्याम्

केभ्यः

षष्ठी

कस्य

कयोः

केषाम्

सप्तमी

कस्मिन्

कयोः

केषु

सम्बोधन

-

-

-

 

21. सर्व शब्दः- अकारान्तपुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

सर्वः

सर्वौ

सर्वे

द्वितीया

सर्वम्

सर्वौ

सर्वान्

तृतीया

सर्वेण

सर्वाभ्याम्

सर्वैः

चतुर्थी

सर्वस्मै

सर्वाभ्याम्

सर्वेभ्यः

पञ्चमी

सर्वस्मात्

सर्वाभ्याम्

सर्वेभ्यः

षष्ठी

सर्वस्य

सर्वयोः

सर्वेषाम्

सप्तमी

सर्वस्मिन्

सर्वयोः

सर्वेषु

सम्बोधन

हे सर्व

हे सर्वौ

हे सर्वे

 

22. सर्वशब्दः- अकारान्त स्त्रीलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

सर्वा

सर्वे

सर्वाः

द्वितीया

सर्वाम्

सर्वे

सर्वाः

तृतीया

सर्वया

सर्वाभ्याम्

सर्वाभिः

चतुर्थी

सर्वस्यै

सर्वाभ्याम्

सर्वाभ्यः

पञ्चमी

सर्वस्याः

सर्वाभ्याम्

सर्वाभ्यः

षष्ठी

सर्वस्याः

सर्वयोः

सर्वासाम्

सप्तमी

सर्वस्याम्

सर्वयोः

सर्वासु

सम्बोधन

हे सर्वे

हे सर्वे

हे सर्वाः

 

23. सर्वशब्दः- अकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

सर्वम्

सर्वे

सर्वाणि

द्वितीया

सर्वम्

सर्वे

सर्वाणि

तृतीया

सर्वेण

सर्वाभ्याम्

सर्वैः

चतुर्थी

सर्वस्मै

सर्वाभ्याम्

सर्वेभ्यः

पञ्चमी

सर्वस्मात्

सर्वाभ्याम्

सर्वेभ्यः

षष्ठी

सर्वस्य

सर्वयोः

सर्वेषाम्

सप्तमी

सर्वस्मिन्

सर्वयोः

सर्वेषु

सम्बोधन

हे सर्वे

हे सर्वौ

हे सर्वे

 

24. भवत् शब्दः- तकारान्त पुल्लिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

भवान्

भवन्तौ

भवन्तः

द्वितीया

भवन्तम्

भवन्तौ

भवतः

तृतीया

भवता

भवद्भ्याम्

भवद्भिः

चतुर्थी

भवते

भवद्भ्याम्

भवद्भ्यः

पञ्चमी

भवतः

भवद्भ्याम्

भवद्भ्यः

षष्ठी

भवतः

भवतोः

भवताम्

सप्तमी

भवति

भवतोः

भवत्सु

सम्बोधन

हे भवान्

हे भवन्तौ

हे भवन्तः

 

25. भवत् शब्दः- तकारान्त स्त्रीलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

भवती

भवत्यौ

भवत्य:

द्वितीया

भवतीम्

भवत्यौ

भवती:

तृतीया

भवत्या

भवतीभ्याम्

भवतीभि:

चतुर्थी

भवत्यै

भवतीभ्याम्

भवतीभ्य:

पञ्चमी

भवत्या:

भवतीभ्याम्

भवतीभ्य:

षष्ठी

भवत्या:

भवत्यो:

भवताम्

सप्तमी

भवत्याम्

भवत्यो:

भवतीषु

सम्बोधन

हे भवति

हे भवत्यौ

हे भवत्य:

 

26.भवत् शब्दः- तकारान्त नपुंसकलिंग

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

भवत्

भवती

भवन्ति

द्वितीया

भवत्

भवती

भवन्ति

तृतीया

भवता

भवद्भ्याम्

भवद्भिः

चतुर्थी

भवते

भवद्भ्याम्

भवद्भ्यः

पञ्चमी

भवतः

भवद्भ्याम्

भवद्भ्यः

षष्ठी

भवतः

भवतोः

भवताम्

सप्तमी

भवति

भवतोः

भवत्सु

सम्बोधन

हे भवान्

हे भवन्तौ

हे भवन्तः

    
अगली पोष्ट में विषेशण शब्दों की जानकारी प्रदान की जाएगी ।
    
    धन्यवाद ।


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