हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन
Time division of the history of Hindi literature
साहित्य अविरल धारा की तरह होता है, जो निरंतर आगे बढ़ता है । उसमें
न कोई रुकावट आती हैं और न ही कोई उसे कोई बाधित करता है । समय के साथ-साथ उसमें परिवर्तन
आते रहते है और परिवर्तन के अनुरूप साहित्य को नयी प्रवृत्तियाँ, नयी दिशाएँ मिलती
है ।
किसी भी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन करने की सबसे अच्छी प्रणाली
उस साहित्य में प्रवाहित साहित्य धाराओं, विविध प्रवृत्तियों के आधार पर उसे विभाजित
करना है । समय के साथ व परिस्थितियों के अनुकूल साहित्य के विषय तथा शैलीगत प्रवृतियाँ
परिवर्तित होती रहती है । हिन्दी साहित्य के विषय में भी यही बात युक्तियुक्त प्रतीत
होती है । एक विशेष काल में समाज की विशेष परिस्थितियाँ एवं तत्सम्बन्धी विचारधाराएँ
रहती हैं और उन्हीं के अनुरुप साहित्यिक रचनाएँ रची जाती हैं । अत: किसी भी भाषा के
साहित्य के कालखण्ड को उचित नाम व समय देने के लिए पूरे साहित्य का अध्ययन अत्यन्त
आवश्यक है ।
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Hindi sahitya ka itihas |
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वैसे तो हिन्दी साहित्य
का इतिहास (Hindi saahitya ka itihaasa) का विषय बहुत ही विशाल है । इस पोस्ट में हिन्दी
साहित्य के काल विभाजन व नामकरण (Hindi saahitya ke itihaasa ka kaal vibhajan wa Naamkaran)
के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गई हैं । पोस्ट में मुख्य रूप से
हिन्दी साहित्य के इतिहास का लेखन की परम्परा-
The tradition of writing the history of Hindi literature-
# हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन 19वीं सदी से माना जाता है ।
# हिन्दी साहित्य का इतिहास सर्वप्रथम 'गार्सा दा तासी' ने लिखा । उनके ग्रन्थ का नाम 'इस्त्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी' है । ये फ्रेंच विद्वान थे ।
# हिन्दी साहित्य के इतिहास का दूसरा ग्रन्थ “शिवसिंह सेंगर” ने लिखा । इनके ग्रन्थ का नाम “शिवसिंह सरोज” है । इसकी रचना 1983 में की गई ।
# हिन्दी साहित्य के इतिहास का तीसरा ग्रन्थ “जार्ज ग्रियर्सन” ने 1988 में ‘‘द
मोडर्न वर्नाकुलर लिटरेचर आफ हिन्दुस्तान’' लिखा । इन्होंने हिन्दी साहित्य के
इतिहास को 11 भागों में बाँटा-
1. चारण काल
2. पन्द्रहवीं शताब्दी का धर्मिक पुनर्जागरण
3. जायसी की प्रेम कविता
4.
व्रज का कृष्ण सम्प्रदाय
5. मुगल दरबार
6.
तुलसीदास
7. रीति काव्य
8.
तुलसीदास के अन्य परवर्ती कवि
9. अट्ठारहवीं शताब्दी
10.
कम्पनी के शासन में हिन्दुस्तान
11. महारानी के शासन में हिन्दुस्तान
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# हिन्दी साहित्य के इतिहास के क्रम में चौथा स्थान “मिश्रवन्धुओं” की पुस्तक “मिश्रबन्धु विनोद” का है । मिश्रबन्धु तीन
भाई थे- गणेश बिहारी मिश्र, श्याम बिहारी मिश्र और शुद्धदेव बिहारी मिश्र । 'मिश्रबन्धु
विनोद' की रचना चार भागों में हुई है, जिसके तीन भागों का प्रकाशन 1913 में व चौथे भाग का प्रकाशन 1914 में हुआ । मिश्र
बन्धुओं ने मिश्रबन्धु विनोद ग्रन्थ में हिन्दी साहित्य के इतिहास को इस प्रकार विभाजित
किया –
(1) आरम्भिक काल –
(क) पूर्व आरम्भिक काल - 700-1343
(ख) उत्तर आरम्भिक काल 1344-1444
(2) माध्यमिक काल
(क) पूर्व माध्यमिक काल - 1445-1560
(ख) प्रौढ माध्यमिक काल 1561- 1680
(3) अलंकृत काल
(क) पूर्व अलंकृत काल 1681-1990
(ख) उत्तर अलंकृत काल - 1391-1889
(4) परिवर्तन काल - 1890-1925
(5) वर्तमान काल - 1926- अब तक
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# हिन्दी साहित्य के काल विभाजन के क्रम में सबसे महत्त्वपूर्ण नाम “आचार्य रामचन्द्र शुक्ल” जी का है ।इन्ही के कालक्रम विभाजन को आगे चलकर अन्य विद्वानों ने भी अल्प परिवर्तन के साथ स्वीकारा है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 1929 में हिन्दी साहित्य के काल विभाजन के लिए ‘'हिन्दी साहित्य का इतिहास'’ नामक पुस्तक लिखी । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के काल को चार भागों में बाँटा-
(1) आदिकाल (वीरगाथा काल) - 1050 - 1375
(2) पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल) – 1375 – 1700
(3) उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल) - 1700 – 1900
(4) आधुनिक काल (गद्यकाल) -
1900 से अब तक
# “डा. रामकुमार वर्मा” ने 1938 में '‘हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास”
नामक पुस्तक लिखी । जिसमें हिन्दी साहित्य का विभाजन इस प्रकार से किया गया है-
(1) सन्धि काल - 750 - 1000
(2) चारण काल - 1000 - 1375
(3) भक्तिकाल – 1375 – 1700
(4) रीतिकाल – 1700 - 1900
(5) आधुनिक काल – 1900 से अब तक
# सर्वमान्य मत-
वर्तमान में विभिन्न सहित्य के इतिहासकारों द्वारा सर्वमान्य नाम
व कालक्रम निम्न है-
(1) आदिकाल - 1000 - 1350
(2) भक्तिकाल - 1350 - 1650
(3) रीतिकाल - 1650 – 1850
(4) आधुनिक काल - 1850 से
अब तक
हिन्दी साहित्य के काल खण्डों के अनेक नामकरण-
# हिन्दी साहित्य के इतिहासकारों द्वारा विभिन्न कालों के लिए निम्न नाम दिए गए हैं-
1. आदिकाल के अन्य
नाम
Other
names for Adikal-
(1)
वीरगाथा काल |
आचार्य
रामचन्द्र शुक्ल |
(2)
आदिकाल |
हजारी
प्रसाद द्विवेदी |
(3)
चारणकाल |
जार्ज ग्रियर्सन डॉ.
रामकुमार वर्मा |
(4)
बीज वपन काल |
महावीर
प्रसाद द्विवेदी |
(5)
सिद्ध सामन्त युग |
राहुल
सांकृत्यायन |
(6)
आरम्भिक काल |
मिश्र
बन्धु |
(7)
प्रारम्भिक काल |
डॉ.
गणपति चन्द्र गुप्त |
(8)
वीरकाल |
विश्वनाथ
प्रताप मिश्र |
2. भक्तिकाल के अन्य नाम-
Other names of devotees-
(1)
माध्यमिक काल |
मिश्रबन्धु |
(2)
भक्तिकाल |
आचार्य
रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. रामकुमार वर्मा, हजारी
प्रसाद द्विवेदी |
(3)
पूर्व मध्यकाल |
डॉ.
गणपति चन्द्र गुप्त |
3. रीतिकाल के अन्य नाम-
Other names for Reetikal-
(1)
अलंकृत काल |
मिश्रबन्धु |
(2)
रीतिकाल |
आचार्य
रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. रामकुमार वर्मा, हजारी
प्रसाद द्विवेदी |
(3)
शृंगार काल |
विश्वनाथ
त्रिपाठी |
(4)
कला काल |
डॉ.
भागीरथ मिश्र रमाशंकर
शुक्ल |
4. आधुनिक काल के अन्य नाम-
Other Names of the Aadhunik kaal-
(1)
वर्तमान काल |
मिश्रबन्धु |
(2)
गद्यकाल |
आचार्य
रामचन्द्र शुक्ल |
(3
आधुनिक काल |
हजारी
प्रसाद द्विवेदी |
हिन्दी साहित्य के इतिहास के प्रमुख ग्रन्थ व ग्रन्थकार-
Prominent books and authors of the history of Hindi literature-
ग्रन्थ |
ग्रन्थकार |
इस्त्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी |
गार्सा दा तासी |
शिवसिंह सरोज |
शिवसिंह सेंगर |
द मॉडर्न वर्नाकुलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान |
जॉर्ज ग्रियर्सन |
मिश्रबन्धु विनोद |
मिश्र बन्धु |
हिन्दी साहित्य का इतिहास |
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल |
हिन्दी साहित्य का इतिहास |
डॉ. नगेन्द्र व डॉ. हरदयाल |
हिन्दी साहित्य का आदिकाल |
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी |
हिन्दी साहित्य की भूमिका |
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी |
हिन्दी साहित्य : उद्भव व विकास |
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी |
हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास |
डॉ. गणपति चन्द्रगुप्त |
हिन्दी काव्यशास्त्र का इतिहास |
डॉ. भगीरथ मिश्र |
रीतिकाव्य की भूमिका |
डॉ. नगेन्द्र |
हिन्दी साहित्य का अतीत |
विश्वनाथ प्रताप मिश्र |
उत्तरी भारत की सन्त परम्परा |
परशुराम चतुर्वेदी |
राजस्थानी भाषा और साहित्य |
डॉ. मोतीलाल मेनारिया |
हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन |
डॉ. नलिन विलोचन शर्मा |
हिन्दी भाषा एवं साहित्य |
बाबू श्यामसुन्दर दास |
हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास |
सूर्यकान्त शास्त्री |
हिन्दी साहित्य का इतिहास |
आचार्य चतुरसेन |
आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास |
डॉ. बच्चन सिंह |
हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास |
डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी |
खड़ी बोली हिन्दी साहित्य का इतिहास |
ब्रजरत्न दास |
आधुनिक हिन्दी साहित्य का विकास |
डॉ. श्रीकृष्ण लाल |
आधुनिक हिन्दी साहित्य |
डॉ. लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय |
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