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धातुरूप परिचय संस्कृत । Sanskrit Dhatu roop । संस्कृत की क्रियाएँ । Sanskrit ki kriyaen

                        धातुरूप परिचय

संस्कृत धातुरूप, sanskrit dhaturoop
Dhatu roop

धातु-

      क्रिया के मूल अंश को धातु कहते हैं । जैसे पठति क्रिया का मूल अंश ‘पठ्’ है, ‘पठ्’ मूल धातु है । इसी प्रकार लिख्, गम्, खाद्, हस्, खेल्, क्रीड् आदि धातुएँ हैं । संस्कृत में लगभग दो हजार धातुएँ हैं ।


क्रिया-

       जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना अथवा किसी घटना के घटित होने का ज्ञान होता है, उन्हें क्रिया कहते हैं । जैसे- पठति, गच्छति, खादति आदि ।

 

धातुरूप-

       मूल धातुओं के साथ जब ‘तिप्’ प्रत्यय जुड़ते हैं, तब धातुरूप बनते हैं । धातुएँ तीन प्रकार की होती हैं-

1. परस्मैपदी धातुएँ

2. आत्मनेपदी धातुएँ

3. उभयपदी धातुएँ


1. परस्मैपदी धातुएँ -

     जिन धातुओं के साथ ‘तिप्, तस्, झि’ आदि प्रत्यय जुड़ते हैं, उन्हे परस्मैपदी धातु कहते हैं । परस्मैपदी धातुओं के साथ जुड़ने वाले प्रत्यय-  

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथम पुरुष

तिप्

तस्

झि

मध्यम पुरुष

सिप्

थस्

उत्तम पुरुष

मिप्

वस्

मस्

 

 

2. आत्मनेपदी धातुएँ -

       जिन धातुओं के साथ ‘त, आताम्, झ’ आदि प्रत्यय जुड़ते हैं, उन्हे आत्मनेपदी धातु कहते हैं । आत्मनेपदी धातुओं के साथ जुड़ने वाले प्रत्यय-

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथम पुरुष

आताम्

मध्यम पुरुष

थास्

आथाम्

ध्वम्

उत्तम पुरुष

इट्

वहि

महिङ्


3. उभयपदी धातुएँ-

       जिन धातुओं में आत्मनेपदी व परस्मैपदी इन दोनों के प्रत्यय जुड़ते हैं, उन्हे उभयपदी धातुएँ कहते हैं । उभयपदी धातुओं के साथ उपर्युक्त दोनों प्रकार के प्रत्यय जुड़ते हैं ।


धातुओं के गण-

       धातुओं के कुल 10 गण हैं । प्रत्येक गण का नाम उस गण की पहली धातु के नाम से पड़ा है । जैसे भ्वादि गण की पहली धातु भू है, अदादि गण की पहली धातु अद् है । इसी प्रकार अन्य गणों के नाम भी हैं । दश गण निम्न है-

    भ्वाद्यदादि जुहोत्यादिदिवादि: स्वादिरेव च ।

    तुदादिश्च रुधादिश्च तनक्र्यादिचुरादय: ॥

1. भ्वादि गण

2. अदादि गण

3.जुहोत्यादि गण

4. दिवादि गण

5. स्वादि गण

6. तुदादि गण

7. रुधादि गण

8. तनादि गण

9. क्र्यादि गण

10. चुरादि गण

Dhatuon ke das gan, धातुओं के दस गण
Dhaatuon ke das gan


लकार-

       संस्कृत भाषा में प्रत्येक धातु के दश लकार होते हैं । जो निम्न हैं-

    लट् वर्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिटस्तस्था ।

    विध्याशिषोस्तु लिङ् लोटौ लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति ॥

1. लट् लकार

2. लिट् लकार

3. लुट् लकार

4. लृट् लकार

5. लेट् लकार

6. लोट् लकार

7. लङ् लकार

8. लिङ् लकार

9. लुङ् लकार

10. लृङ् लकार

dhatuon ke das lakaar धातुओं के दस लकार
dhatuon ke das lakaar 



    
प्रत्येक लकार का प्रारम्भ ‘ल’ अक्षर से होता है, अत: इन्हे लकार संज्ञा दी गई है । लिङ् लकार के दो भेद होते हैं- 1. विधिलिङ् लकार  2. आशीर्लिङ् लकार । लेट् लकार क प्रयोग केवल वेदों में पाया जाता है ।

 

काल के अनुसार लकारों का विभाजन-

वर्तमान काल-

लट् लकार-      

       लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल के लिए होता है । जैसे बालक: पुस्तकं पठति (बालक पुस्तक पढता है) ।


भूतकाल

       भू्तकाल के लिए तीन लकारों का प्रयोग होता है- लङ् लकार, लुङ् लकार, लिट् लकार । क्रम से तीनों को समझते हैं-

(क) लङ् लकार-

       लङ् लकार का प्रयोग अनद्यतन भूत के लिए किया जाता है, अनद्यतन अर्थात् जो घटना आज की न हो । जैसे मोहन: ह्य: विद्यालयं अगच्छत् (मोहन कल विद्यालय गया) ।

(ख) लुङ् लकार-

       लुङ् लकार को सामान्य भूतकाल या आसन्न भूतकाल भी कहते हैं । आसन्न का अर्थ है जो क्रिया आज ही हुई हो, परन्तु वह वर्तमान में न होकर भूतकाल में हो । जैसे- मोहन: प्रात:काले विद्यालयम् अगमत् (मोहन सुबह विद्यालय गया) ।

(ग) लिट् लकार-

       लिट् लकार को परोक्ष भूतकाल कहते हैं । परोक्ष का अर्थ है जो हमारे सामने न हुआ हो, अर्थात् जो घटना हमारी इन्द्रियों के सामने न हुई हो, बहुत प्रचीन घटना हो उसमें लिट् लकार होता है । जैसे- राम: राजा बभूव (राम राजा हुए) ।

 

भविष्यत् काल-

       भविष्यत् काल के लिए तीन लकारों का प्रयोग होता है- लृट् लकार, लुट् लकार, लृङ् लकार । क्रम से तीनों को समझते हैं-

(क) लृट् लकार-

       लृट् लकार को सामान्य भविष्यत् भी कहते हैं । नजदीकी भविष्यत् के लिए लृट् लकार का प्रयोग होता है । जैसे- अहं सायं काले नगरं गमिष्यामि (मैं शाम को शहर जाऊँगा) ।

(ख) लुट् लकार-

       लुट् लकार को अनद्यतन भविष्यत् काल भी कहते हैं, अर्थात् जो घटना आज न होकर कल या उससे आगे होगी । जैसे- लता परश्व: विद्यालयं गन्ता ( लता परसों विद्यालय जाएगी) ।

(ग) लृङ् लकार-

       क्रियातिपत्ति के लिए लृङ् लकार का प्रयोग होता है । क्रियातिपत्ति का अर्थ है क्रिया का पूरा न होना, अर्थात् ‘यदि ऐसा होता तो ऐसा होता’ इस प्रकार के भविष्यत् काल के अर्थ के लिए लृङ् लकार का प्रयोग होता है । जैसे- सुवृष्टि: चेत् अभविष्यत् सुभिक्षम् अभविष्यत् ( यदि अच्छी वर्षा होती तो अच्छा अन्न होता) ।

 

अन्य तीन लकार विभिन्न अर्थों में प्रयोग होते हैं-

(I) लोट् लकार-

       लोट् लकार का प्रयोग अनुमति, निमन्त्रण, आमन्त्रण, अनुरोध, जिज्ञासा, और सामर्थ्य इन अर्थों में होता है । जैसे- भवान् तत्र गच्छ (आप वहाँ जाओ) ।


(II) विधिलिङ् लकार-

       विधिलिङ् लकार का प्रयोग निमन्त्रण, आमन्त्रण, अनुरोध, जिज्ञासा, और सामर्थ्य इन अर्थों में होता है । जैसे ( ब्रह्मचारी मधु, मांसं च वर्जयेत् ( ब्रह्मचारी को मधु व मांस नहीं खाना चाहिए) ।

 

(III) आशीर्लिङ् लकार-

       आशीर्लिङ् लकार का प्रयोग आशीर्वाद के अर्थ में होता है । जैसे- राजा सुचिरम् जीव्यात् ( राजा दीर्घ काल तक जिए) ।

 

पुरुष-

       प्रत्येक लकार के तीन पुरुष होते हैं- 1. प्रथम पुरुष 2. मध्यम पुरुष 3. उत्तम पुरुष ।

 

परस्मैपदी धातुओं के अन्त में जुड़ने वाले प्रत्यय के रूप-

                     लकार- लट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

ति:

त:

अन्ति

मध्यम पुरुष:

सि

थ:

उत्तम पुरुष:

मि

व:

म:

 

                    लकार- लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

अतु:

उ:

मध्यम पुरुष:

इथ

अथु:

उत्तम पुरुष:

इव

इम

 

                    लकार- लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

ता

तारौ

तार:

मध्यम पुरुष:

तासि

तास्थ:

तास्थ

उत्तम पुरुष:

तास्मि

तास्व:

तास्म:

 

                   लकार- लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

स्यति

स्यत:

स्यन्ति

मध्यम पुरुष:

स्यसि

स्यथ:

स्यथ

उत्तम पुरुष:

स्यामि

स्याव:

स्याम:

 

                   लकार- लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

तु

ताम्

अन्तु

मध्यम पुरुष:

-/हि

तम्

उत्तम पुरुष:

आनि

आव

आम

 

                   लकार- लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

त्

ताम्

अन्

मध्यम पुरुष:

:

तम्

उत्तम पुरुष:

अम्

 

                   लकार- विधिलिङ्

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

एत्

एताम्

एयु:

मध्यम पुरुष:

ए:

एतम्

एत्

उत्तम पुरुष:

एयम्

एव

एम्

 

                    लकार- आशीर्लिङ्

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

यात्

यास्ताम्

यासु:

मध्यम पुरुष:

या:

यास्तम्

यास्त

उत्तम पुरुष:

यासम्

यास्व

यस्म

 

                   लकार- लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

त्

ताम्

उ:

मध्यम पुरुष:

:

तम्

उत्तम पुरुष:

अम्

 

                    लकार- लृङ् लकार

 

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथम पुरुष:

स्यत्

स्यताम्

स्यन्

मध्यम पुरुष:

स्य:

स्यतम्

स्यत

उत्तम पुरुष:

स्यम्

स्याव

स्याम

 

 

आत्मनेपदी धातुओं के अन्त में जुड़ने वाले प्रत्यय के रूप-

                   लकार- लट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

अते

एते

अन्ते

मध्यम पुरुष:

असे

एथे

अध्वे

उत्तम पुरुष:

आवहे

आमहे

 

 

                   लकार- लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

आते

इरे

मध्यम पुरुष:

इसे

आथे

इध्वे

उत्तम पुरुष:

इवहे

इमहे

 

 

                   लकार- लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

ता

तारौ

तार:

मध्यम पुरुष:

तासे

तासाथे

ताध्वे

उत्तम पुरुष:

ताहे

तास्वहे

तास्महे

 

 

                   लकार- लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

स्यते

स्येते

स्यन्ते

मध्यम पुरुष:

स्यसे

स्येथे

स्यध्वे

उत्तम पुरुष:

स्ये

स्यावहे

स्यामहे

 

 

                   लकार- लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

ताम्

एताम्

अन्ताम्

मध्यम पुरुष:

स्व

एथाम्

ध्वम्

उत्तम पुरुष:

आवहे

आमहे

 

 

                    लकार- लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

एताम्

अन्त

मध्यम पुरुष:

था:

एथाम्

ध्वम्

उत्तम पुरुष:

आवहि

आमहि

 

 

                    लकार- विधिलिङ्

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

एत्

एयाताम्

एरन्

मध्यम पुरुष:

एथा:

एयाथाम्

एध्वम्

उत्तम पुरुष:

एय

एवहि

एमहि

 

 

                   लकार- आशीर्लिङ्

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

सीष्ट

सीयास्ताम्

सीरन्

मध्यम पुरुष:

सीष्ठा:

सीयास्थाम्

सीध्वम्

उत्तम पुरुष:

सीय

सीवहि

सीमहि

 

 

                   लकार- लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष:

अत

एताम्

अन्त

मध्यम पुरुष:

अथा:

एथाम्

अध्वम्

उत्तम पुरुष:

आवहि

आमहि

 

 

                   लकार- लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथम पुरुष

स्यत्

स्येताम्

स्यन्त

मध्यम पुरुष

स्यथा:

स्येथाम्

स्यध्वम्

उत्तम पुरुष

स्ये

स्यावहि

स्यामहि

 

अब कुछ प्रमुख धातुरूपों को जानते हैं-


परस्मैपदी धातुओं के धातुरूप

1. भू धातु (होना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

भवति

भवतः

भवन्ति

मध्यमपुरुषः

भवसि

भवथः

भवथ

उत्तमपुरुषः

भवामि

भवावः

भवामः

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

बभूव

बभूवतुः

बभूवुः

मध्यमपुरुषः

बभूविथ

बभूवथुः

बभूव

उत्तमपुरुषः

बभूव

बभूविव

बभूविम

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

भविता

भवितारौ

भवितारः

मध्यमपुरुषः

भवितासि

भवितास्थः

भवितास्थ

उत्तमपुरुषः

भवितास्मि

भवितास्वः

भवितास्मः

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

भविष्यति

भविष्यतः

भविष्यन्ति

मध्यमपुरुषः

भविष्यसि

भविष्यथः

भविष्यथ

उत्तमपुरुषः

भविष्यामि

भविष्यावः

भविष्यामः

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

भवतु

भवताम्

भवन्तु

मध्यमपुरुषः

भव

भवतम्

भवत

उत्तमपुरुषः

भवानि

भवाव

भवाम

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अभवत्

अभवताम्

अभवन्

मध्यमपुरुषः

अभवः

अभवतम्

अभवत

उत्तमपुरुषः

अभवम्

अभवाव

अभवाम

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

भवेत्

भवेताम्

भवेयुः

मध्यमपुरुषः

भवेः

भवेतम्

भवेत

उत्तमपुरुषः

भवेयम्

भवेव

भवेम

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

भूयात्

भूयास्ताम्

भूयासुः

मध्यमपुरुषः

भूयाः

भूयास्तम्

भूयास्त

उत्तमपुरुषः

भूयासम्

भूयास्व

भूयास्म

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अभूत्

अभूताम्

अभूवन्

मध्यमपुरुषः

अभूः

अभूतम्

अभूत

उत्तमपुरुषः

अभूवम्

अभूव

अभूम

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अभविष्यत्

अभविष्यताम्

अभविष्यन्

मध्यमपुरुषः

अभविष्यः

अभविष्यतम्

अभविष्यत

उत्तमपुरुषः

अभविष्यम्

अभविष्याव

अभविष्याम

 

 

2. गम् धातु ( जाना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

गच्छति

गच्छतः

गच्छन्ति

मध्यमपुरुषः

गच्छसि

गच्छथः

गच्छथ

उत्तमपुरुषः

गच्छामि

गच्छावः

गच्छामः

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

जगाम

जग्मतुः

जग्मुः

मध्यमपुरुषः

जगमिथ

जग्मथुः

जगम

उत्तमपुरुषः

जगम

जग्मिव

जग्मिम

 

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

गन्ता

गन्तारौ

गन्तारः

मध्यमपुरुषः

गन्तासि

गन्तास्थः

गन्तास्थ

उत्तमपुरुषः

गन्तास्मि

गन्तास्वः

गन्तास्मः

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

गमिष्यति

गमिष्यतः

गमिष्यन्ति

मध्यमपुरुषः

गमिष्यसि

गमिष्यथः

गमिष्यथ

उत्तमपुरुषः

गमिष्यामि

गमिष्यावः

गमिष्यामः

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

गच्छतु

गच्छताम्

गच्छन्तु

मध्यमपुरुषः

गच्छ

गच्छतम्

गच्छत

उत्तमपुरुषः

गच्छानि

गच्छाव

गच्छाम

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अगच्छत्

अगच्छताम्

अगच्छन्

मध्यमपुरुषः

अगच्छः

अगच्छतम्

अगच्छत

उत्तमपुरुषः

अगच्छम्

अगच्छाव

अगच्छाम

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

गच्छेत्

गच्छेताम्

गच्छेयुः

मध्यमपुरुषः

गच्छेः

गच्छेतम्

गच्छेत

उत्तमपुरुषः

गच्छेयम्

गच्छेव

गच्छेम

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

गम्यात्

गम्यास्ताम्

गम्यासुः

मध्यमपुरुषः

गम्याः

गम्यास्तम्

गम्यास्त

उत्तमपुरुषः

गम्यासम्

गम्यास्व

गम्यास्म

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अगमत्

अगमताम्

अगमन्

मध्यमपुरुषः

अगमः

अगमतम्

अगमत

उत्तमपुरुषः

अगमम्

अगमाव

अगमाम

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अगमिष्यत्

अगमिष्यताम्

अगमिष्यन्

मध्यमपुरुषः

अगमिष्यः

अगमिष्यतम्

अगमिष्यत

उत्तमपुरुषः

अगमिष्यम्

अगमिष्याव

अगमिष्याम

 

3. लिख् धातु ( लिखना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लिखति

लिखतः

लिखन्ति

मध्यमपुरुषः

लिखसि

लिखथः

लिखथ

उत्तमपुरुषः

लिखामि

लिखावः

लिखामः

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लिलेख

लिलिखतुः

लिलिखुः

मध्यमपुरुषः

लिलेखिथ

लिलिखथुः

लिलिख

उत्तमपुरुषः

लिलेख

लिलिखिव

लिलिखिम

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लेखिता

लेखितारौ

लेखितारः

मध्यमपुरुषः

लेखितासि

लेखितास्थः

लेखितास्थ

उत्तमपुरुषः

लेखितास्मि

लेखितास्वः

लेखितास्मः

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लेखिष्यति

लेखिष्यतः

लेखिष्यन्ति

मध्यमपुरुषः

लेखिष्यसि

लेखिष्यथः

लेखिष्यथ

उत्तमपुरुषः

लेखिष्यामि

लेखिष्यावः

लेखिष्यामः

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लिखतात्

लिखताम्

लिखन्तु

मध्यमपुरुषः

लिख

लिखतम्

लिखत

उत्तमपुरुषः

लिखानि

लिखाव

लिखाम

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अलिखत्

अलिखताम्

अलिखन्

मध्यमपुरुषः

अलिखः

अलिखतम्

अलिखत

उत्तमपुरुषः

अलिखम्

अलिखाव

अलिखाम

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लिखेत्

लिखेताम्

लिखेयुः

मध्यमपुरुषः

लिखेः

लिखेतम्

लिखेत

उत्तमपुरुषः

लिखेयम्

लिखेव

लिखेम

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लिख्यात्

लिख्यास्ताम्

लिख्यासुः

मध्यमपुरुषः

लिख्याः

लिख्यास्तम्

लिख्यास्त

उत्तमपुरुषः

लिख्यासम्

लिख्यास्व

लिख्यास्म

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अलेखीत्

अलेखिष्टाम्

अलेखिषुः

मध्यमपुरुषः

अलेखीः

अलेखिष्टम्

अलेखिष्ट

उत्तमपुरुषः

अलेखिषम्

अलेखिष्व

अलेखिष्म

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अलेखिष्यत्

अलेखिष्यताम्

अलेखिष्यन्

मध्यमपुरुषः

अलेखिष्यः

अलेखिष्यतम्

अलेखिष्यत

उत्तमपुरुषः

अलेखिष्यम्

अलेखिष्याव

अलेखिष्याम

 

4. खाद् धातु (खाना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

खादति

खादतः

खादन्ति

मध्यमपुरुषः

खादसि

खादथः

खादथ

उत्तमपुरुषः

खादामि

खादावः

खादामः

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

चखाद

चखादतुः

चखादुः

मध्यमपुरुषः

चखादिथ

चखादथुः

चखाद

उत्तमपुरुषः

चखाद

चखादिव

चखादिम

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

खादिता

खादितारौ

खादितारः

मध्यमपुरुषः

खादितासि

खादितास्थः

खादितास्थ

उत्तमपुरुषः

खादितास्मि

खादितास्वः

खादितास्मः

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

खादिष्यति

खादिष्यतः

खादिष्यन्ति

मध्यमपुरुषः

खादिष्यसि

खादिष्यथः

खादिष्यथ

उत्तमपुरुषः

खादिष्यामि

खादिष्यावः

खादिष्यामः

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

खादतु

खादताम्

खादन्तु

मध्यमपुरुषः

खाद

खादतम्

खादत

उत्तमपुरुषः

खादानि

खादाव

खादाम

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अखादत्

अखादताम्

अखादन्

मध्यमपुरुषः

अखादः

अखादतम्

अखादत

उत्तमपुरुषः

अखादम्

अखादाव

अखादाम

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

खादेत्

खादेताम्

खादेयुः

मध्यमपुरुषः

खादेः

खादेतम्

खादेत

उत्तमपुरुषः

खादेयम्

खादेव

खादेम

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

खाद्यात्

खाद्यास्ताम्

खाद्यासुः

मध्यमपुरुषः

खाद्याः

खाद्यास्तम्

खाद्यास्त

उत्तमपुरुषः

खाद्यासम्

खाद्यास्व

खाद्यास्म

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अखादीत्

अखादिष्टाम्

अखादिषुः

मध्यमपुरुषः

अखादीः

अखादिष्टम्

अखादिष्ट

उत्तमपुरुषः

अखादिषम्

अखादिष्व

अखादिष्म

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अखादिष्यत्

अखादिष्यताम्

अखादिष्यन्

मध्यमपुरुषः

अखादिष्यः

अखादिष्यतम्

अखादिष्यत

उत्तमपुरुषः

अखादिष्यम्

अखादिष्याव

अखादिष्याम

 

5. हस् धातु (हँसना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

हसति

हसतः

हसन्ति

मध्यमपुरुषः

हससि

हसथः

हसथ

उत्तमपुरुषः

हसामि

हसावः

हसामः

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

जहास

जहसतुः

जहसुः

मध्यमपुरुषः

जहसिथ

जहसथुः

जहस

उत्तमपुरुषः

जहस/जहास

जहसिव

जहसिम

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

हसिता

हसितारौ

हसितारः

मध्यमपुरुषः

हसितासि

हसितास्थः

हसितास्थ

उत्तमपुरुषः

हसितास्मि

हसितास्वः

हसितास्मः

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

हसिष्यति

हसिष्यतः

हसिष्यन्ति

मध्यमपुरुषः

हसिष्यसि

हसिष्यथः

हसिष्यथ

उत्तमपुरुषः

हसिष्यामि

हसिष्यावः

हसिष्यामः

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

हसतु

हसताम्

हसन्तु

मध्यमपुरुषः

हस

हसतम्

हसत

उत्तमपुरुषः

हसानि

हसाव

हसाम

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अहसत्

अहसताम्

अहसन्

मध्यमपुरुषः

अहसः

अहसतम्

अहसत

उत्तमपुरुषः

अहसम्

अहसाव

अहसाम

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

हसेत्

हसेताम्

हसेयुः

मध्यमपुरुषः

हसेः

हसेतम्

हसेत

उत्तमपुरुषः

हसेयम्

हसेव

हसेम

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

हस्यात्

हस्यास्ताम्

हस्यासुः

मध्यमपुरुषः

हस्याः

हस्यास्तम्

हस्यास्त

उत्तमपुरुषः

हस्यासम्

हस्यास्व

हस्यास्म

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अहसीत्

अहसिष्टाम्

अहसिषुः

मध्यमपुरुषः

अहसीः

अहसिष्टम्

अहसिष्ट

उत्तमपुरुषः

अहसिषम्

अहसिष्व

अहसिष्म

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अहसिष्यत्

अहसिष्यताम्

अहसिष्यन्

मध्यमपुरुषः

अहसिष्यः

अहसिष्यतम्

अहसिष्यत

उत्तमपुरुषः

अहसिष्यम्

अहसिष्याव

अहसिष्याम

 

 

 

आत्मनेपदी धातुओं के धातुरूप-


1. सेव् धातु (सेवा करना) लट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सेवते

सेवेते

सेवन्ते

मध्यमपुरुषः

सेवसे

सेवेथे

सेवध्वे

उत्तमपुरुषः

सेवे

सेवावहे

सेवामहे

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सिषेवे

सिषेवाते

सिषेविरे

मध्यमपुरुषः

सिषेविषे

सिषेवाथे

सिषेविध्वे

उत्तमपुरुषः

सिषेवे

सिषेविवहे

सिषेविमहे

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सेविता

सेवितारौ

सेवितारः

मध्यमपुरुषः

सेवितासे

सेवितासाथे

सेविताध्वे

उत्तमपुरुषः

सेविताहे

सेवितास्वहे

सेवितास्महे

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सेविष्यते

सेविष्येते

सेविष्यन्ते

मध्यमपुरुषः

सेविष्यसे

सेविष्येथे

सेविष्यध्वे

उत्तमपुरुषः

सेविष्ये

सेविष्यावहे

सेविष्यामहे

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सेवताम्

सेवेताम्

सेवन्ताम्

मध्यमपुरुषः

सेवस्व

सेवेथाम्

सेवध्वम्

उत्तमपुरुषः

सेवै

सेवावहै

सेवामहै

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

असेवत

असेवेताम्

असेवन्त

मध्यमपुरुषः

असेवथाः

असेवेथाम्

असेवध्वम्

उत्तमपुरुषः

असेवे

असेवावहि

असेवामहि

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सेवेत

सेवेयाताम्

सेवेरन्

मध्यमपुरुषः

सेवेथाः

सेवेयाथाम्

सेवेध्वम्

उत्तमपुरुषः

सेवेय

सेवेवहि

सेवेमहि

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

सेविषीष्ट

सेविषीयास्ताम्

सेविषीरन्

मध्यमपुरुषः

सेविषीष्ठाः

सेविषीयास्थाम्

सेविषीध्वम्

उत्तमपुरुषः

सेविषीय

सेविषीवहि

सेविषीमहि

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

असेविष्ट

असेविषाताम्

असेविषत

मध्यमपुरुषः

असेविष्ठाः

असेविषाथाम्

असेविध्वम्

उत्तमपुरुषः

असेविषि

असेविष्वहि

असेविष्महि

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

असेविष्यत

असेविष्येताम्

असेविष्यन्त

मध्यमपुरुषः

असेविष्यथाः

असेविष्येथाम्

असेविष्यध्वम्

उत्तमपुरुषः

असेविष्ये

असेविष्यावहि

असेविष्यामहि

 

 

2. लभ् धातु (पाना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लभते

लभेते

लभन्ते

मध्यमपुरुषः

लभसे

लभेथे

लभध्वे

उत्तमपुरुषः

लभे

लभावहे

लभामहे

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लेभे

लेभाते

लेभिरे

मध्यमपुरुषः

लेभिषे

लेभाथे

लेभिध्वे

उत्तमपुरुषः

लेभे

लेभिवहे

लेभिमहे

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लब्धा

लब्धारौ

लब्धारः

मध्यमपुरुषः

लब्धासे

लब्धासाथे

लब्धाध्वे

उत्तमपुरुषः

लब्धाहे

लब्धास्वहे

लब्धास्महे

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लप्स्यते

लप्स्येते

लप्स्यन्ते

मध्यमपुरुषः

लप्स्यसे

लप्स्येथे

लप्स्यध्वे

उत्तमपुरुषः

लप्स्ये

लप्स्यावहे

लप्स्यामहे

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लभताम्

लभेताम्

लभन्ताम्

मध्यमपुरुषः

लभस्व

लभेथाम्

लभध्वम्

उत्तमपुरुषः

लभै

लभावहै

लभामहै

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अलभत

अलभेताम्

अलभन्त

मध्यमपुरुषः

अलभथाः

अलभेथाम्

अलभध्वम्

उत्तमपुरुषः

अलभे

अलभावहि

अलभामहि

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लभेत

लभेयाताम्

लभेरन्

मध्यमपुरुषः

लभेथाः

लभेयाथाम्

लभेध्वम्

उत्तमपुरुषः

लभेय

लभेवहि

लभेमहि

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

लप्सीष्ट

लप्सीयास्ताम्

लप्सीरन्

मध्यमपुरुषः

लप्सीष्ठाः

लप्सीयास्थाम्

लप्सीध्वम्

उत्तमपुरुषः

लप्सीय

लप्सीवहि

लप्सीमहि

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अलब्ध

अलप्साताम्

अलप्सत

मध्यमपुरुषः

अलब्धाः

अलप्साथाम्

अलब्ध्वम्

उत्तमपुरुषः

अलप्सि

अलप्स्वहि

अलप्स्महि

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अलप्स्यत

अलप्स्येताम्

अलप्स्यन्त

मध्यमपुरुषः

अलप्स्यथाः

अलप्स्येथाम्

अलप्स्यध्वम्

उत्तमपुरुषः

अलप्स्ये

अलप्स्यावहि

अलप्स्यामहि

 

उभयपदी धातुओं के धातुरूप (परस्मैपदी)-


1. कृ धातु (करना) लट् लकार-

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

करोति

कुरुतः

कुर्वन्ति

मध्यमपुरुषः

करोषि

कुरुथः

कुरुथ

उत्तमपुरुषः

करोमि

कुर्वः

कुर्मः

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

चकार

चक्रतुः

चक्रुः

मध्यमपुरुषः

चकर्थ

चक्रथुः

चक्र

उत्तमपुरुषः

चकार/चकर

चकृव

चकृम

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कर्ता

कर्तारौ

कर्तारः

मध्यमपुरुषः

कर्तासि

कर्तास्थः

कर्तास्थ

उत्तमपुरुषः

कर्तास्मि

कर्तास्वः

कर्तास्मः

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

करिष्यति

करिष्यतः

करिष्यन्ति

मध्यमपुरुषः

करिष्यसि

करिष्यथः

करिष्यथ

उत्तमपुरुषः

करिष्यामि

करिष्यावः

करिष्यामः

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

करोतु

कुरुताम्

कुर्वन्तु

मध्यमपुरुषः

कुरु

कुरुतम्

कुरुत

उत्तमपुरुषः

करवाणि

करवाव

करवाम

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अकरोत्

अकुरुताम्

अकुर्वन्

मध्यमपुरुषः

अकरोः

अकुरुतम्

अकुरुत

उत्तमपुरुषः

अकरवम्

अकुर्व

अकुर्म

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कुर्यात्

कुर्याताम्

कुर्युः

मध्यमपुरुषः

कुर्याः

कुर्यातम्

कुर्यात

उत्तमपुरुषः

कुर्याम्

कुर्याव

कुर्याम

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

क्रियात्

क्रियास्ताम्

क्रियासुः

मध्यमपुरुषः

क्रियाः

क्रियास्तम्

क्रियास्त

उत्तमपुरुषः

क्रियासम्

क्रियास्व

क्रियास्म

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अकार्षीत्

अकार्ष्टाम्

अकार्षुः

मध्यमपुरुषः

अकार्षीः

अकार्ष्टम्

अकार्ष्ट

उत्तमपुरुषः

अकार्षम्

अकार्ष्व

अकार्ष्म

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अकरिष्यत्

अकरिष्यन्

अकरिष्यताम्

मध्यमपुरुषः

अकरिष्यः

अकरिष्यतम्

अकरिष्यत

उत्तमपुरुषः

अकरिष्यम्

अकरिष्याव

अकरिष्याम

 

(आत्मनेपदी)

लट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कुरुते

कुर्वाते

कुर्वते

मध्यमपुरुषः

कुरुषे

कुर्वाथे

कुरुध्वे

उत्तमपुरुषः

कुर्वे

कुर्वहे

कुर्महे

 

लिट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

चक्रे

चक्राते

चक्रिरे

मध्यमपुरुषः

चकृषे

चक्राथे

चकृढ्वे

उत्तमपुरुषः

चक्रे

चकृवहे

चकृमहे

 

लुट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कर्ता

कर्तारौ

कर्तारः

मध्यमपुरुषः

कर्तासे

कर्तासाथे

कर्ताध्वे

उत्तमपुरुषः

कर्ताहे

कर्तास्वहे

कर्तास्महे

 

लृट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

करिष्यते

करिष्येते

करिष्यन्ते

मध्यमपुरुषः

करिष्यसे

करिष्येथे

करिष्यध्वे

उत्तमपुरुषः

करिष्ये

करिष्यावहे

करिष्यामहे

 

लोट् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कुरुताम्

कुर्वाताम्

कुर्वताम्

मध्यमपुरुषः

कुरुष्व

कुर्वाथाम्

कुरुध्वम्

उत्तमपुरुषः

करवै

करवावहै

करवामहै

 

लङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अकुरुत

अकुर्वाताम्

अकुर्वत

मध्यमपुरुषः

अकुरुथाः

अकुर्वाथाम्

अकुरुध्वम्

उत्तमपुरुषः

अकुर्वे

अकुर्वहि

अकुर्महि

 

विधिलिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कुर्वीत

कुर्वीयाताम्

कुर्वीरन्

मध्यमपुरुषः

कुर्वीथाः

कुर्वीयाथाम्

कुर्वीध्वम्

उत्तमपुरुषः

कुर्वीय

कुर्वीवहि

कुर्वीमहि

 

आशीर्लिङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

कृषीष्ट

कृषीयास्ताम्

कृषीरन्

मध्यमपुरुषः

कृषीष्ठाः

कृषीयास्थाम्

कृषीध्वम्

उत्तमपुरुषः

कृषीय

कृषीवहि

कृषीमहि

 

लुङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अकृत

अकृषाताम्

अकृषत

मध्यमपुरुषः

अकृथाः

अकृषाथाम्

अकृढ्वम्

उत्तमपुरुषः

अकृषि

अकृष्वहि

अकृष्महि

 

लृङ् लकार

 

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमपुरुषः

अकरिष्यत

अकरिष्येताम्

अकरिष्यन्त

मध्यमपुरुषः

अकरिष्यथाः

अकरिष्येथाम्

अकरिष्यध्वम्

उत्तमपुरुषः

अकरिष्ये

अकरिष्यामहि

अकरिष्यावहि

 


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